Move to Jagran APP

प्रकृति का पूरी दुनिया में आदिवासियों ने किया संरक्षण

जागरण संवाददाता साहिबगंज प्रकृति के सृजन करने की क्षमता एवं उसकी एक चक्र को पूरा कर न

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 07:08 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 07:08 PM (IST)
प्रकृति का पूरी दुनिया में आदिवासियों ने किया संरक्षण
प्रकृति का पूरी दुनिया में आदिवासियों ने किया संरक्षण

जागरण संवाददाता, साहिबगंज: प्रकृति के सृजन करने की क्षमता एवं उसकी एक चक्र को पूरा कर नए चक्र की शुरुआत को मनाने के लिए कॉज बटन दबाकर त्योहार के मूड में आते हैं। ये बातें रविवार को साहिबगंज कालेज में छह दिनों तक मनने वाले सोहराय पर्व के अवसर पर सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की कुलपति डा. सोना झरिया मिज ने कही।

loksabha election banner

कुलपति ने कहा कि त्योहार का माहौल है। कालेज का प्रांगण न केवल हमारी संस्कृति का प्रतिबिब दिखाने की जगह है। परंतु साथ ही समाज व संस्कृति के उस प्रतिबिब को सीखने लिखने व पढ़ने के पायदान में लाने का उत्तरदायित्व कालेज एवं विश्वविद्यालय का होता है। जितना संरक्षण प्रकृति का आदिवासियों ने किया है उससे ज्यादा किसी और समुदाय ने पूर दुनिया में नहीं किया है। प्रक्रिया चल रही है बदलाव आ रहे हैं। प्रकृति के साथ अपनाने की प्रक्रिया में कुछ न छूट जाए इसलिए हमारी संस्कृति आदिवासी समुदाय से संबंधित संस्कृति को पठन पाठन के लिए नॉलेज क्रिएशन के लिए आगे लाना है। जब जब ऐसे त्योहार हम मनाने वाले होते हैं उससे पहले कुछ लिखे ताकि त्योहार आने से पहले उसका ज्ञान हो जोश के साथ त्योहार में सहभागी हो सकें।

डीसी रामनिवास यादव ने कहा कि सोहराय प्रकृति से जुड़ा त्योहार है। आदिवासी समाज हमेशा से प्रकृति को बचाने हुए आया है। प्रकृति का सम्मान इसका संरक्षण करते हुए आगे आया है। इस अवसर पर सांसद विजय हांसदा ने कहा कि सोहराय आदिवासियों का प्रमुख त्योहार है। इसे खुशी से मिलकर मनाएं। विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए सोहराय प्रकृति से जुड़ने एवं मिलजुलकर मनाने का अवसर प्रदान करता है। इससे पूर्व साहिबगंज कॉलेज के प्राचार्य डा. विनोद कुमार ने सभी का कॉलेज में आने के लिए स्वागत किया। साथ ही विस्तार से सोहराय पर्व के बारे में, इसके इतिहास के बारे में बताया। कॉलेज पहुंचने पर कुलपति एवं सांसद का आदिवासी परंपरा के अनुसार पैर प्रक्षालन कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक अनुरंजन किसपोट्टा, साहिबगंज कॉलेज के डा. रंजित कुमार सिंह सहित अन्य अतिथि, कॉलेज के अध्यापक एवं छात्र छात्राएं सहित अन्य मौजूद थे।

सोहराय झारखंड की संस्कृति की पहचान

आदिवासियों का पर्व सोहराय झारखंड की लोक संस्कृति और परंपरा की पहचान है। पशुधन को सम्मान देने और खेतों में अच्छी फसल होने पर सोहराय उत्सव कई दिनों तक मनाया जाता है। ये बातें साहिबगंज महाविद्यालय परिसर में रविवार हॉस्टल के आदिवासी छात्रों की ओर से आयोजित छह दिवसीय सोहराय पर्व के समापन के मौके पर राजमहल सांसद विजय हांसदा ने कहीं। सांसद ने कहा कि सोहराय का पर्व समाज को एकजुट करने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की भी सीख देती है। बोरियो विधायक विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि सोहराय पर्व समाज को एकजुटता सांस्कृतिक एवं भाषा की रक्षा की प्रेरणा देता है। सोहराय के अंतिम दिन बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग कॉलेज के मैदान में समारोह में शामिल हुए। सभी लोग मादर के थाप पर झूम रहे थे। मुख्य अतिथि बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम, डॉक्टर बी मरांडी, कुलपति सोना झरिया मिज भी मांदर की थाप पर झूमे। सोहराय को लेकर आदिवासी समाज किे लोगों में खासा उत्साह का माहौल देखा गया। सभी लोग अपने-अपने टोली में नाच गा रहे थे। प्रोफेसर रंजीत कुमार सिंह ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। बाद में कॉलेज के मैदान से कई टीम में सभी पंरपरातक तरीके से नाचते गाते पुलिस लाइन मैदान तक पहुंचे। इस अवसर पर पूरे शहर में सुरक्षा का चौकस इंतजाम किया गया। कॉलेज के छात्रों ने छह दिनों तक परंरा के अनुसार मनाए जाने वाले सोहराय पर मस्ती की। सोहराय के समापन पर साहिबगंज शहर के अलावा आसपास के आदिवासी भी त्योहार में शामिल होते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.