झील में गाद, पास में बस्ती, परिदों का आवागमन घटा
जागरण साहिबगंज सूबे का एक मात्र पक्षी अभयारण्य उधवा के बरहेल व पतौड़ा झील में लगातार गाद
जागरण, साहिबगंज: सूबे का एक मात्र पक्षी अभयारण्य उधवा के बरहेल व पतौड़ा झील में लगातार गाद भर रही है। इसके आसपास आबादी भी तेजी से बस रही है। अभ्यारण्य के आसपास मानव हलचल बढ़ने के कारण प्रवासी पक्षियों का आना कम हो गया है। गुजरे 30 साल में 70 फीसद पक्षियों का आवागमन कम हो गया है। अभ्यारण्य
1991 में 565 हेक्टेयर के क्षेत्र को अधिसूचित पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था, मगर इस प्रतिबंधित क्षेत्र में नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है। मेहमान पक्षियों को सम्मान नहीं मिल रहा है। उधवा में गरुड़ सहित कई पक्षी रहते थे। झील का मिलन गंगा में होने से जलीय पशु पक्षियों का यह आशियाना है। इसे उधवा पक्षी आश्रयणी कहते हैं। यहां आर्द्र भूमि है। फिर भी उनके अनुकूल माहौल नहीं मिल रहा है। इस कारण भी पक्षी कम आ रहे हैं।
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दिसंबर आते हैं प्रवासी पक्षी
उधवा पक्षी आश्रयी में दिसंबर माह में प्रवासी पक्षी आते हैं। इनमें स्पूनबिल, एकरेट, किगफिशर,गोल्डन आरियो, बैकटेल, स्ट्रोक, कोरमोनेंटस, नीलकंठ, ढेंलहरा, मेरवा, धोमरा, उकाब, छोटा बटान, टिमटिमा, अबाबील आदि शामिल हैं। ज्यादातर पक्षी साइबेरिया से आते हैं। ठंड के मौसम में यहां रहते हैं। यहां कबूतर, बगेरी, मैना, गौरेया, पतेना, चुलबुल सहित अन्य प्रजाति की पक्षियां खुले आम घूमती हैं।
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जिले के उधवा पक्षी अभ्यारण्य में प्रवासी पक्षियों के कम आने के कई कारण हैं, मगर वहां भ्रमण करने के बाद पता चला कि पक्षी अभयारण्य में गाद भर गया है। इसकी गहराई कम होने के कारण और आसपास आबादी बसने के कारण पक्षियों को दो दशक पहले जिस तरह का माहौल मिलता था अब नहीं मिल रहा है। गाद की सफाई कर गहराई बढ़ानी होगी।
डा. अमृत कुमार झा, प्रधान विज्ञानी, केविके, साहिबगंज
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यह बात सही है कि 30 साल में 70 फीसद पक्षियों का आना उधवा में कम हो गया है। पक्षियों के अनुकूल प्रकृति के प्रतिकूल जो कुछ वहां हो रहा है उसे समझना होगा। वरना अपने बच्चों को पक्षियों की कहानी बतानी पड़ेगी। इसका ध्यान रखकर उधवा व आसपास के इलाके में झील क्षेत्र में अवैध शिकारमाही रोकनी होगी।
मनीष कुमार तिवारी, जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी, साहिबगंज