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आदिवासी महाकुंभ की अगुवाई को राजमहल तैयार

प्रशासनिक रूप से राजकीय माघी पूर्णिमा मेला को दिया जा रहा भव्य और ऐतिहासिक रूप फोटो मेला के दो दिन पूर्व गंगा घाट पहुंच कर पूजा करते सफाहोड़ समुदाय गंगा तट पर बन रहा सिदो कान्हू का विशाल माडल संवाद सहयोगी राजमहल साहिबगंज आदिवासी महाकुंभ का रूप ले चुका राजमहल का राजकीय माघी पूर्णिमा मेला भक्त श्रद्धालुओं की अगुवाई को लेकर पूरी तरह तैयार है। एक तरफ जहां सफाहोड़ और विन्दिन समाज के श्रद्धालु भक्तजन अपने जान गुरूओं के सानिध्य में या तो परंपरागत तरीके से जाहेर थान व मांझी थान बनाकर पूजा अर्चना प्रारंभ कर चुके है या फिर पूजन की तैयारी को अंतिम रूप दे रहे है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 10:33 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 10:33 PM (IST)
आदिवासी महाकुंभ की अगुवाई को राजमहल तैयार

राजमहल,(साहिबगंज): आदिवासियों का महाकुंभ राजमहल का राजकीय माघी पूर्णिमा मेला श्रद्धालुओं की अगुवाई को लेकर पूरी तरह तैयार है। जहां सफाहोड़ और विदिन समाज के श्रद्धालु अपने जान गुरुओं के सानिध्य में परंपरागत तरीके से जाहेर थान व मांझी थान बनाकर पूजा अर्चना प्रारंभ कर चुके है। वहीं प्रशासनिक रूप से भी मेला को भव्य एवं ऐतिहासिक रूप देने की तैयारी लगभग पूर्ण कर ली गई है। आदिवासी समाज के श्रद्धालु अपनी तिथियों के अनुरूप पूर्णिमा से पूजन व गंगास्नान प्रारंभ कर देते है। प्रशासनिक रूप से 9 फरवरी रविवार को मेला का विधिवत शुभारंभ किया जाएगा।

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गंगातट पर बना भव्य पंडाल व आदमकद सिदो कान्हू का मॉडल: प्रशासनिक रूप से गंगा तट सूर्यदेव घाट पर वाटरप्रूफ पंडाल श्रद्धालुओं के लिए बनाया गया है। सात से आठ हजार भक्त एक साथ पंडाल का लाभ उठा सकते है। आदिवासी संस्कृति को महत्व देखते हुए प्रशासनिक रूप से इस वर्ष मुख्य गंगा स्नान घाट सूर्यदेव घाट पर आदमकद लगभग 22 फीट ऊंची सिदो कान्हू की प्रतिमा का मॉडल तैयार किया जा रहा है। प्रशासनिक रूप से राजकीय माघी पूर्णिमा को ऐतिहासिक रूप दिया जा रहा है। मेला के दो दिन पूर्व से ही गंगा घाट पहुंच कर सफाहोड़ समुदाय के लोग पूजन करने लगे हैं।

मेला समापन पर समारोह का आयोजन: एसडीओ कर्ण सत्यार्थी ने बताया कि मेला को विधिवत रूप से समाप्त करने हेतु समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान सूर्यदेव घाट पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। प्रत्येक वर्ष प्रशासनिक रूप से आयोजित सांस्कृतिक समारोह के अंतिम दिन सांस्कृतिक मंच से मेला समापन की सूचना दी जाती थी। समापन समारोह पर गंगातट पर सफलता के सूचक गुब्बारे उड़ाए जाएंगे और आतिशबाजी की जाएगी।

प्रशासनिक रूप से श्रद्धालुओं के लिए अलाव, पुआल व दरी की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जा रही है। प्रत्येक पंडाल में श्रद्धालुओं के सोने, बैठने के लिए पुआल व दरी की व्यवस्था की जा रही है।

मेला में नहीं दिखेगा चित्रहार व अन्य अश्लील व फूहड़ कार्यक्रम: एसडीओ कर्ण सत्यार्थी ने बताया कि मेला को अश्लीलता व फूहड़ता से बचाने के लिए चित्रहार या अन्य अश्लील कार्यक्रमों को थियेटर में स्थान नही दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक तरफ आदिवासी समाज माघी पूर्णिमा के इस पावन मौके पर गंगा स्नान व पूजन के लिए पूरे सात्विक मन से राजमहल पहुंचते है, वहीं ऐसे अश्लील कार्यक्रम का इस धार्मिक मेला में प्रदर्शन राजमहल की गरिमा को ठेस पहुंचाएगी। सुरक्षा को लेकर भी पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पिछली बार की तुलना से इस बार अधिक पुलिस बल मेला में सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे। नदी मार्ग पर पुलिस की गश्त लगातार जारी रहेगी। नदी मार्ग पर एनडीआरएफ के दो स्पीड बोट एवं जिला प्रशासन की ओर से दो स्पीड बोट के साथ लगातार गंगातट में गश्त लगाकर सुरक्षा व्यवस्था संभालेगी। प्रशिक्षित गोताखोर व अन्य छोटे यंत्रचालित नौका से भी सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखी जाएगी।

पूरा मेला क्षेत्र रहेगा सीसीटीवी की नजर में :  प्रशासनिक रूप से नजर रखने हेतु मेला क्षेत्र को सीसीटीवी की जद में रखा जाएगा। अभी तक नगर क्षेत्र में 11 सीसीटीवी चौक चौराहों लगा है। परंतु सुरक्षा की ²ष्टि से पांच से दस अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। जो सूर्यदेव घाट, बालू प्लॉट,  रेलवे मैदान इत्यादि जगहों पर  लगाए जा रहे हैं।

पुराने नगर भवन में बनेगा मेला नियंत्रण एवं जनसंपर्क कक्ष:  सिंहीदलान स्थित पुराने नगर भवन में मेला नियंत्रण कक्ष के साथ साथ जनसंपर्क कक्ष भी बनाया जा रहा है। जिसमें पत्रकारों एवं पदाधिकारियों के बैठने की जगह बनाई गयी है। 


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