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बारिश में बन रहे तालाब-कुएं, बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में सड़क

उधवा/साहिबगंज जिले में बरसात के मौसम में भी तालाब व कुएं की खुदाई की जा रही है। इसका खु

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 06:31 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 06:18 AM (IST)
बारिश में बन रहे तालाब-कुएं, बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में सड़क

जाटी, उधवा/साहिबगंज : साहिबगंज जिले में बरसात में भी तालाब व कुएं की खुदाई हो रही है। इसका खुलासा मनरेगा की वेबसाइट से हुआ है। वेबसाइट के अनुसार बरहड़वा में 21 कूपों के निर्माण के लिए 404 और मंडरो प्रखंड में 75 कूपों निर्माण को 1106 मजदूरों की डिमांड की गई है। इतना ही नहीं, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सड़क का समतलीकरण हो रहा है। प्रावधान के अनुसार 15 जून के बाद कच्चा कार्य नहीं कराना है। हालांकि उपविकास आयुक्त ने 22 जुलाई 2020 को तालाब, कूप निर्माण, कच्ची सड़क, कच्ची नाली के जीर्णोद्धार और समतलीकरण की योजना पर रोक लगा दी थी। इसके बाद भी तालझारी में एक और उधवा प्रखंड में समतलीकरण की पांच योजनाएं संचालित हैं। इसमें 185 मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है।

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सिंचाई योजनाओं की बात करें तो बरहड़वा की चार योजनाओं में 20 मजदूर , मंडरो में योजनाओं 50, पतना में पांच योजनाओं के लिए 139 , राजमहल में तीन योजनाओं के लिए 82 मजदूर और तालझाड़ी में एक योजना के लिए 14 मजदूरों की डिमांड की गई है।

इसी तरह बरहड़वा प्रखंड में ग्रामीण सड़क निर्माण की दो योजनाओं के लिए 40, साहिबगंज में एक योजना के लिए 24, तालझारी में दो योजना के लिए 13 और उधवा प्रखंड में एक योजना के लिए 39 मजदूरों की डिमांड की गई है।

बता दें कि उधवा प्रखंड के जिन क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, वहां भी सड़क निर्माण व समतलीकरण की योजना चल रही हैं। अमानत दियारा पंचायत में 39, पश्चिमी उधवा दियारा में 29, दक्षिण पलाशगाछी में 32, पूर्वी उधवा में 26 तथा उत्तर सरफराजगंज पंचायत में 51 मजदूरों की डिमांड की गई है। वास्तविकता यह है कि यहां कच्चे कार्य करने की स्थिति ही नहीं है।

हड़ताल को निष्प्रभावी करने की रणनीति : झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के राज्यव्यापी हड़ताल से 27 जुलाई से राज्य के लगभग 6000 मनरेगा कर्मी, बीपीओ, अभियंता, लेखा सहायक, रोजगारसेवक पांच सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। मनरेगा मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए लिए मनरेगा वरदान साबित हो रही थी। हड़ताल के कारण प्रवासी मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है जिससे सरकार तथा सरकारी अधिकारी दबाव में आ गए है। वर्तमान समय में मनरेगा कर्मी की हड़ताल से पूरे राज्य में कुछ ही दिनों में मनरेगा में कार्य करने वाले मजदूरों की संख्या में काफी कमी आ गई। इससे ग्रामीण विकास विभाग में बेचैनी बढ़ गई है। इसके लिए मनरेगा आयुक्त लगातार उपविकास आयुक्त और बीडीओ के साथ वीसी कर रहे हैं। किसी भी हाल में डिमांड को कम नहीं होने देने को कहा गया है। डिमांड अधिक करने के चक्कर में यह सब हो रहा है।

मनरेगा कर्मचारी संघ ने बताया फर्जी : झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पाण्डेय ने ऐसी लेवर डिमांड को फर्जी करार दिया है। इसे विभागीय दिशानिर्देश का उल्लंघन भी बताया है। संघ का कहना है कि राज्य सरकार और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा कर्मी की उचित मांगों की अनदेखी के कारण मजबूरन संघ को हड़ताल करना पड़ा है। मनरेगा कर्मी का जब हड़ताल पर नहीं थे तब मिट्टी से संबंधित कार्यो को बंद करने को कहा गया था अब उन्हीं योजनाओं पर कार्य करने का आदेश दे रहे हैं।

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बरसात में किस परिस्थिति में कुएं व तालाब की खुदाई हो रही है उसकी जांच कराई जाएगी। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही कोई भी काम होगा।

चितरंजन कुमार, उपायुक्त, साहिबगंज


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