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कानून बनने के बाद भी वनवासियों को नहीं मिला हक

34 वीं शहीद दिवस के अवसर पर प्रखंड के सबैया गांव स्थित शहीद फादर अन्थोनी मुर्मू मेमोरियल मध्य विद्यालय में गुरुवार को शहीद समारोह समिति के तत्वाधान में आदिवासियों का जंगल पर निर्भरता एवं वनाधिकार कानून विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ हजारीबाग से आये मुख्य अतिथि सह वक्ता वीरेंद्र कुमाररमेश मुर्मूसमाजिक कार्यकर्ता पकु टुडू व पौलुस मुर्मू ने संयुक्त रूप से दिप प्रज्वलित कर किया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जंगल और उनके वनवासियों का हाल पहले ही काफी बुरा है लिहाजा उनसे जुड़े मुद्दों पर संवेदनशीलता के साथ विचार करने की जरूरत है। कानून के लागू होने के एक दशक बाद भी रा

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 08:04 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:34 AM (IST)
कानून बनने के बाद भी वनवासियों को नहीं मिला हक
कानून बनने के बाद भी वनवासियों को नहीं मिला हक

बोरियो (साहिबगंज): बोरियो प्रखंड के सबैया गांव स्थित शहीद फादर एंथोनी मुर्मू मेमोरियल मध्य विद्यालय में 34 वीं शहीद दिवस पर शहीद समारोह समिति के तत्वावधान में आदिवासियों की जंगल पर निर्भरता एवं वनाधिकार कानून विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था। इसका शुभारंभ हजारीबाग से आए मुख्य अतिथि सह वक्ता वीरेंद्र कुमार, रमेश मुर्मू, सामाजिक कार्यकर्ता पकु टुडू व पौलुस मुर्मू ने किया था। इसमें मुख्य वक्ता वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जंगल और उनके वनवासियों का हाल पहले से ही काफी बुरा है। उनसे जुड़े मुद्दों पर संवेदनशीलता के साथ विचार करने की जरूरत है। कानून के लागू होने के एक दशक बाद भी राज्य के  लाखों वनवासियों को जमीन पर मालिकाना हक नहीं मिल सका है। जब देश में कई स्थानों पर सामाजिक संगठनों ने संकट में पड़े वनवासी समुदायों के अधिकारों के लिये संघर्ष किया तो इसके बाद अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यता) अधिनियम - 2006 बना है। आज भी वन विभाग उन्हें अतिक्रमणकारी करार जमीन से हटा रही है। इसके लिए आदिवासी समुदाय को एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग करने की जरूरत है। गोष्ठी में समाज के बुद्धिजीवी, कई जिला के ग्राम प्रधान, मांझी हड़ाम, परगैनत शामिल हुए। मौके पर ग्राम प्रधान मुंशी हांसदा, बाले हांसदा, सामाजिक कार्यकर्ता लॉरेंस मुर्मू, फादर टॉम, समिति  के पकु टुडू आदि उपस्थित थे।

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