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मुकदमें में पैरवी से वचित नहीं रहेंगे बंदी : न्यायाधीश

राजमहल (साहिबगंज): अनुमंडलीय विधिक सेवा समिति के तत्वावधान में रविवार को उपकारा राजमहल

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 10:29 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 10:29 AM (IST)
मुकदमें में पैरवी से वचित नहीं रहेंगे बंदी : न्यायाधीश
मुकदमें में पैरवी से वचित नहीं रहेंगे बंदी : न्यायाधीश

राजमहल (साहिबगंज): अनुमंडलीय विधिक सेवा समिति के तत्वावधान में रविवार को उपकारा राजमहल में अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सत्यपाल की अध्यक्षता में जेल अदालत सह विधिक शिविर का आयोजन किया गया। जेल अदालत में कोई भी मामला नहीं रहने के कारण एक भी मामले का निष्पादन नहीं किया गया। विधिक शिविर में सर्वप्रथम प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अशोक कुमार ने उपस्थित बंदियों को कानून से संबंधित जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि अक्सर लोग कानून की जानकारी के अभाव में सरकार द्वारा दिए जाने वाले सुविधाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं। सरकार द्वारा यह भी प्रावधान बनाया गया है कि कोई भी बंदी अगर अपने मुकदमे की पैरवी करने में असमर्थ है तो सरकार की ओर से अधिवक्ता की नियुक्ति की जाती है, जिसका सारा खर्च सरकार वहन करती है अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सत्यपाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उपस्थित बंदियों को बताया कि दो प्रकार के मामले का न्यायालय में विचारण होता हैं। एक सत्रवाद तथा दूसरा न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में विचारण होता है। न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में वैसे वाद जिसकी सजा 10 वर्ष से कम होती है। अगर साठ दिनों के अंदर अनुसंधानकर्ता द्वारा उस मामले में आरोप पत्र समर्पित नहीं किया जाता है, तो उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 का लाभ मिल सकता है। ठीक उसी तरह इस मामले में 10 वर्ष से ऊपर की सजा होती है उसमे यदि अनुसंधानकर्ता 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र सर्मिपत नहीं करते हैं तो वैसे बंदी को भी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 का लाभ मिल सकता है। अंत में धन्यवाद ज्ञापन उपकाराधीक्षक अमित कुमार मिश्रा ने किया। मौके पर अधिवक्ता अनंत कुमार राय, सुधीर घोष, दिनेश उपाध्याय, न्यायालय कर्मी संजीत मंडल, पीएलभी मालतो व बंदी भी उपस्थित थे।

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