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जन्माष्टमी पर वैदिक मंत्रोच्चार से गुंजा कन्हैयास्थान

तालझारी (साहिबगंज) भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली एवं गुप्त वृंदावन के नाम से विश्व विख्यात कन्है

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 07:41 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 06:18 AM (IST)
जन्माष्टमी पर वैदिक मंत्रोच्चार से गुंजा कन्हैयास्थान
जन्माष्टमी पर वैदिक मंत्रोच्चार से गुंजा कन्हैयास्थान

तालझारी (साहिबगंज) : भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली एवं गुप्त वृंदावन के नाम से विश्व विख्यात कन्हैयास्थान इस्कॉन मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर तीन दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान गुरुवार को संपन्न हो गया है। बुधवार की शाम भगवान कृष्ण की संध्या आरती हर्षोल्लास पूर्वक की गई। इसके बाद तुलसी आरती, नृसिंह देव आरती के बाद भजन-कीर्तन प्रस्तुत किया गया। मंदिर के परिचालक प्राण जीवन चैतन्य दास एवं शकलदीप दास ने भगवान श्रीकृष्ण के कई भजन व कीर्तन गाये। वहीं, अ‌र्द्धरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव भक्तिमय माहौल में मनाया गया।

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इस दौरान कृष्ण भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, घी, मक्खन, शहद एवं पंचामृत से महाभिषेक किया तथा भगवान श्रीकृष्ण की विशेष महाआरती की गई।

हालांकि इस बार कोविड संक्रमण के कारण झारखंड, बिहार एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों से कृष्णभक्त यहां नहीं आये थे। आसपास के गांवों से ही कुछ कृष्णभक्तों की उपस्थिति में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम के दूसरे दिन गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के प्रतिष्ठाता श्री ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद का जन्मोत्सव एवं नंदोत्सव मनाया गया। श्रील प्रभुपाद ने 1965 में इस्कॉन नामक संस्था की स्थापना वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार विश्वभर में करने के उद्देश्य से किया था।

इस्कॉन से जुड़े सभी कृष्णभक्त प्रभुपादजी का जन्मोत्सव मनाते हैं।

कृष्ण भक्तों ने की तमाल वृक्ष की परिक्रमा

कन्हैयास्थान इस्कॉन मंदिर परिसर में स्थित तमाल वृक्ष की परिक्रमा यहां तीन दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने के लिए आए कृष्ण भक्तों ने किया है। किसी ने 5 बार तो किसी ने 11 बार और किसी किसी ने 108 बार भगवान श्री कृष्ण के नामों का जाप करते हुए तमाल वृक्ष की परिक्रमा की है। इस तमाल वृक्ष की विशेषता भी है कि यह धार्मिक स्थलों में ही पाया जाता है। यदि इसे कहीं दूसरे जगह लगाए जाए तो यह वृक्ष नहीं लगता है। भगवान श्रीकृष्ण को तमाल वृक्ष अत्यंत प्रिय थे।


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