सीढ़ी घाट में जमा मिट्टी से बिगड़ी कन्हैयास्थान मंदिर की सूरत
विश्व प्रसिद्ध कन्हैयास्थान इस्कॉन मंदिर में ऐसे तो सालों भर कृष्णभक्तों एवं पर्यटकों का आवागमन होता है और यहां की प्राकृतिक सौंदर्य एवं भौगोलिक ²श्य को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
संवाद सहयोगी, तालझारी (साहिबगंज) : विश्व प्रसिद्ध कन्हैयास्थान इस्कॉन मंदिर में ऐसे तो सालों भर कृष्णभक्तों एवं पर्यटकों का आवागमन होता है और यहां की प्राकृतिक सौंदर्य एवं भौगोलिक ²श्य को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। कन्हैयास्थान मंदिर के खूबसूरती का मुख्य केंद्र बिदु यहां प्रवाहित हो रही पतित पावनी गंगा नदी एवं एक छोटी सी पहाड़ी पर अवस्थित भगवान श्रीकृष्ण की आकर्षक मंदिर है। इसी प्राकृतिक ²श्य से परिपूर्ण कन्हैयास्थान मंदिर के दर्शन हेतु सालों भर कृष्ण भक्तों का आवागमन होता है। खासकर वर्ष के अंतिम महीना दिसंबर तथा वर्ष के प्रथम महीना जनवरी में अधिक पर्यटक आते हैं। देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए यहां नमामि गंगे परियोजना के तहत पिछले साल ही करीब 07 करोड़ की लागत से गंगा नदी के तट पर बनाये गये सीढ़ी घाट का निर्माण किया गया था। लेकिन गंगानदी में सितंबर महीने में आयी बाढ़ के कारण गंगा तट पर बनी सीढ़ी बाढ़ के पानी में डूब गई थी और जब जलस्तर नीचे उतरी तो यह सीढ़ी 4-5 फिट मिट्टी से ढंक गया। यह कहें कि जब पतित पावनी गंगा मैया सीढ़ी से नीचे उतरी तो सीढि़यों में मिट्टी का ढेर छोड़ गई। जिस कारण सीढ़ी की सुंदरता ही समाप्त हो गई है। अब कन्हैयास्थान मंदिर में पर्यटकों का आवागमन भी बढ़ रही है। 14 दिसंबर को बहरमपुर से 100 कृष्णभक्तों का कन्हैयास्थान आना तय हुआ है। 18 दिसंबर को मायापुर टूरिज्म डिपार्टमेंट से अंतर्राष्ट्रीय ग्रुप के 45 कृष्णभक्त आयेंगे, 29 दिसंबर को मालदा 400 कृष्णभक्तों का गंगा स्नान एवं धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने का कार्यक्रम है। इस तरह विश्व विख्यात हो चुके कन्हैयास्थान मंदिर में सैकड़ों देश-विदेश के कृष्णभक्तों का आना तय हुआ है। ऐसे में गंगा नदी के तट पर करोड़ों रुपये खर्च कर बनी सीढ़ी घाट में मिट्टी का ढेर रहने से इसकी सूरत ही बिगड़ गई है। कन्हैयास्थान मंदिर से सटे पतित पावनी गंगा नदी बहती है। यहां स्नानादि के पश्चात पूजा-अर्चना करने दूर-दराज से हजारों कृष्णभक्त यहां आते हैं। परन्तु गंगा घाट में जमा मिट्टी का ढेर से यहां की सूरत बिगड़ गई है। इस संदर्भ में मंदिर के मुख्य परिचालक प्राण जीवन चैतन्य दास ब्रहमचारी ने कहा कि गंगा नदी में आई बाढ़ के कारण सीढि़यों में 4 से 5 फिट मिट्टी का जमाव हो गई है। जिसके चलते सीढ़ी घाट की खूबसूरती समाप्त हो गई है। उनके ख्याल से सीढ़ी घाट बनाने वाले ठेकेदार को उनके द्वारा की गई कार्यों का मेंटेनेंस का काम देखना चाहिए था। इसलिए इन सीढि़यों में जमा मिट्टी को हटाने का काम संबंधित ठेकेदार द्वारा की जानी चाहिए ताकि सीढ़ी घाट की खूबसूरती फिर वापस लौट सके। मंदिर में कोई फंड भी नहीं है जिससे मिट्टी को साफ कर सीढ़ी घाट की खूबसूरती वापस लाया जा सके।
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नमामि गंगे से 7 करोड़ की लागत से बना है सीढ़ी घाट
नमामि गंगे परियोजना के तहत पिछले साल ही करीब 07 करोड़ की लागत से गंगा नदी के तट पर सीढ़ी घाट निर्माण के साथ-साथ इनके सौंदर्यीकरण का काम भी किया गया है। मंदिर परिसर रोशनी से जगमगाता रहे इसके लिए 80 सोलर लाइट लगाये गये है। लेकिन सोलर लाईट की गुणवत्ता खराब रहने के कारण कुछ ही महीने में आधे से अधिक सोलर लाईट जलता ही नहीं है। जिसके चलते सरकार की योजना विफल साबित हो रही है।