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साहिबगंज के गांवों नहीं शहरों में मिलते गदहे

जिले के गांवों में अब गदहे खोजने से भी नहीं मिल रहे। साहिबगंज व राजमहल के शहरी क्षेत्र में जहां-तहां यह जरूर दिख जाएंगे। वैसे जिले में इनकी कुल संख्या मात्र 21 है। अगर किसी को दो दर्जन गदहों की जरूरत होगी तो उन्हें बगल के जिले से संपर्क करना होगा। जी हां। 20वीं राष्ट्रीय पशुधन गणना से इसका खुलासा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 10:37 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 10:37 AM (IST)
साहिबगंज के गांवों नहीं शहरों में मिलते गदहे
साहिबगंज के गांवों नहीं शहरों में मिलते गदहे

साहिबगंज : साहिबगंज के गांवों में अब गदहे खोजने से भी नहीं मिल रहे। साहिबगंज व राजमहल के शहरी क्षेत्र में जहां-तहां यह जरूर दिख जाएंगे। वैसे जिले में इनकी कुल संख्या मात्र 21 है। अगर किसी को दो दर्जन गदहों की जरूरत होगी तो उन्हें बगल के जिले से संपर्क करना होगा। जी हां। 20वीं राष्ट्रीय पशुधन गणना से इसका खुलासा हुआ है। देश में प्रत्येक पांच साल पर पशुओं की गणना होती है। पिछले दिनों पूरे देश में पशुओं की गणना कराई गई। इस क्रम में जिले में भी पशुओं की गणना की गई। संताल परगना के देवघर व जामताड़ा जिले में तो गदहों की संख्या शून्य है। वहां एक भी गदहे नहीं हैं। पाकुड़ जिले में गदहों की संख्या सूबे में सबसे अधिक है। यहां 128 गदहे हैं। गोड्डा में 11 तो दुमका में छह गदहे हैं।

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जिले में एक भी खच्चर नहीं : साहिबगंज जिले में खच्चर समाप्त हो चुके हैं। गिनती के दौरान यहां खच्चरों की संख्या शून्य दर्ज की गई है। देवघर में भी एक भी खच्चर नहीं है। दुमका में एक, पाकुड़ में पांच, गोड्डा में 14 व जामताड़ा में 27 खच्चर हैं। पूरे सूबे में केवल पाकुड़ में ही तीन याक बचे हैं। घोड़ों की संख्या के मामले में जिला दूसरे स्थान पर है। यहां कुल 135 घोड़े हैं। अधिकतर घोड़े बरहेट व बोरियो में हैं। व्यवसायी वर्ग के लोग पहाड़ों पर सामान पहुंचाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। घोड़ों की सबसे अधिक संख्या सूबे में गोड्डा जिले में है। वहां कुल 497 घोड़े गिनती के दौरान दर्ज किए गए हैं।

साहिबगंज में पशुओं की संख्या

क्र. सं पशु संख्या

1. कैटल 263055

2. भैंस 46545

3. मिथुन शून्य

4. याक शून्य

5. शीप 3706

6. बकरी 354387

7. घोड़ा 135

8. ट्टटू 25

9. खच्चर शून्य

10. गदहा 21


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