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पर्यटन के विकास से बनेगा रोजगार का अवसर

साहिबगंज साहिबगंज जिले के धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल की कमी नहीं है। यहां पर्यटन का विकास

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 06:20 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 06:20 PM (IST)
पर्यटन के विकास से बनेगा रोजगार का अवसर
पर्यटन के विकास से बनेगा रोजगार का अवसर

साहिबगंज: साहिबगंज जिले के धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल की कमी नहीं है। यहां पर्यटन का विकास कर रोजगार को सृजन किया जा सकता है।

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राजमहल के जामी मस्जिद एवं बारहद्वारी के अलावा बरहड़वा का शुक्रवासिनी मंदिर, पंचकठिया का क्रांतिस्थल और साहिबगंज का वायसी स्थान मंदिर पर्यटकों के आकर्षक का केंद्र बना हुआ है।

नये साल पर जिले के गंगा किनारे से लेकर राजमहल की पहाड़ियों में वनभोज के लिए बाहर से लोगों के आने का सिलसिला क्रिसमस के बाद ही शुरू हो जाता है।

प्रशासन की ओर से पर्यटन स्थलों के विकास की योजना भी बन रही है परंतु झारखंड बनने के बाद से उसे अमलीजामा पहनाने में वक्त लग रहा है।

बरहड़वा के पश्चिम बंगाल के सीमा क्षेत्र पर गंगा से कुछ दूर पर एनएच 80 के किनारे स्थित है मां शुक्रवासिनी का मंदिर। सालों भर यहां झारखंड, बिहार एवं पश्चिम बंगाल के पर्यटक एवं मां के भक्त पूजा अर्चना करने आते हैं। मंदिर के जमीन का वैसे तो अतिक्रमण प्रशासन एवं आसपास के लोग कर रहे हैं परंतु पर्यटन स्थल का दर्जा देने के लिए विकास कार्य भी चल रहा है। वैशाख माह में यहां मां को दूग्धपान कराने की परंपरा है।

साहिबगंज-गोविदपुर रोड के किनारे बरहेट प्रखंड के पंचकठिया का क्रांति स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। सालोंभर आदिवासी समाज के लोग अपने परंपरागत तरीके से क्रांति स्थल पर पूजा अर्चना करते हैं। आदिवासियों के विदिन समाज के लोग यहां हूल दिवस पर जुटकर सिदो को अंग्रेजों द्वारा फांसी देने की याद को शहादत के रूप में मनाते हैं।

जिला प्रशासन की ओर से पंचकठिया का क्रांति स्थल को पर्यटन नेटवर्क से जोड़ने के लिए विकास चल रहा है।

साहिबगंज गंगा तट का वायसी स्थान मंदिर सालों भर पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहता है। वायसी माता की पूजा अर्चना सालोंभर भक्तिभाव से होती है। गंगा स्नान कर श्रद्धालु मां वायसी की पूजा अर्चना करना नहीं भूलते हैं।

गंगा किनारे के मंदिर को विकसित करने पर साहिबगंज का विकास भी संभव है। नये साल पर लोग यहां पूजा अर्चना करने के लिए जुटते हैं। बरहड़वा का बिदुधाम मंदिर भी सालों भर देश विदेश से आने वाले देवी भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनता है। बरहेट का शिवगादी मंदिर भी सालोंभर आने वाले श्रद्धालुओं का केंद्र बनता है। यहां पहाड़ी की गुफा में भगवान शिव की पूजा होती है। उधवा का पक्षी आश्रयणी व राजमहल व आसपास के सभी ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल भी देश विदेश से आने वाले सैलानियों को आकर्षित कर रहे हैं।


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