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मरीजों की सेवा को घर में अपनाया एकांतवास

डॉ. प्रणेश साहिबगंज कोरोना का वैक्सीन आने के बाद इनदिनों लोग राहत में हैं। महामारी क

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 08:33 PM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 08:33 PM (IST)
मरीजों की सेवा को घर में अपनाया एकांतवास
मरीजों की सेवा को घर में अपनाया एकांतवास

डॉ. प्रणेश, साहिबगंज : कोरोना का वैक्सीन आने के बाद इनदिनों लोग राहत में हैं। महामारी का खौफ करीब-करीब समाप्त हो चुका है। बीते साल ने लोगों की कई तरह से परीक्षा ली। कुछ लोग परीक्षा में पास हुए तो कुछ फेल। यहां के कई चिकित्सक भी कोरोना की चपेट में आ गए। ऐसे में उनके लिए स्वयं को सुरक्षित रखने के साथ-साथ मरीजों के उपचार की दोहरी चुनौती थी। ऐसे दौर में सदर अस्पताल की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. भारती पुष्पम ने मरीजों की सेवा के लिए अपने स्वजनों का साथ छोड़ दिया। करीब छह माह तक स्वजनों से अलग-थलग रहीं। पिछले साल मार्च में कोरोना संक्रमण की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। लोगों को घर में ही रहने की सलाह दी जाने लगी तब भी डॉ. भारती पुष्पम को ड्यूटी पर जाना पड़ता था। डॉ. भारती पुष्पम कहती हैं कि शुरू में तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं। कई बार तो मन में आया कि नौकरी से त्यागपत्र देकर घर में ही रहूं लेकिन पति ने हौसला बढ़ाया। अस्पताल की ड्यूटी से घर लौटने पर स्वजनों के संक्रमित होने का खतरा था। ऐसे में घर के बाहरी कमरे में अपना आशियाना बनाया। करीब छह माह तक पति व बेटियों से दूर से ही बात करती थी। सास का भी पूरा सहयोग मिला। वे कहतीं हैं कि अब तो हमलोगों ने जंग जीत ली। हालांकि, अब भी लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत हैं।

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डॉ. पुष्पम भारती साहिबगंज के प्रोफेसर कॉलोनी में पति अमित सिन्हा, दो बेटिया द्रीति व मौली तथा सास डॉ. मृदुला सिन्हा के साथ रहती हैं। बड़ी बेटी द्रीति व छोटी बेटी मौली है। सास डॉ. मृदुला सिन्हा साहिबगंज कॉलेज की प्राचार्य रह चुकी हैं।

कोरोना काल में भी सरिता ने नहीं कारी हिम्मत

संवाद सहयोगी, साहिबगंज : कोरोना काल में प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। लोग भयवश घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे। इस दौरान भी कई कोरोना वॉरियर अपने काम को अंजाम देने में लगे हुए थे। इनमें सदर अस्पताल में कार्यरत जीएनएम सरिता राय भी हैं। सरिता राय कोरोना काल में हिम्मत के साथ लोगों की सेवा में जुटी रहीं। उन्होंने कभी भी अपने हिम्मत को टूटने नहीं दिया। सरिता राय ने बताया कि कोरोना से तो डर लगता ही था दूसरा डर लगता था कि कहीं हम पॉजिटिव हो गए तो परिवार के सदस्य व बच्चे भी पॉजिटिव हो जाएंगे। इस वजह से सावधानी के साथ मरीजों की सेवा में जुटी रही। डर के बावजूद हमने कभी अपनी हिम्मत को हारने नहीं दिया। मजबूती के साथ अपने काम में हम लगी रही। सरिता राय ने महिला दिवस पर सभी महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें भी देश के लिए आगे बढ़ने तथा नेतृत्व करने की अपील की।

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बहादुरी के साथ सेवा करती रही बबीता

संवाद सहयोगी, साहिबगंज : पुराना सदर अस्पताल में कार्यरत एएनएम बबीता कुमारी कोरोना काल में सिद्दत से लोगों की सेवा में जुटी रही। इस दौरान स्वयं भी संक्रमित होने से नहीं बच पाई। इलाज के बाद ठीक हुई पर हार नहीं मानी। पुन: मरीजों की सेवा में जुट गई। लगातार मरीजों की सेवा करती रही। इस दौरान लोगों को जागरूक करने का काम बखूबी भी करती रही। सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन को आम लोगों तक पहुंचाती रही। बबीता ने बताया कि कोरोना वायरस से तो हर किसी को डर लगता था। हमें भी डर लगता था पर हमने कभी हिम्मत नहीं हारी और लोगों की सेवा करती रही। इस दौरान मैं संक्रमित भी हुई लेकिन कोरोना को हराकर पुन: सेवा में जुट गई। बबीता ने महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हर महिला को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।


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