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विस में पहुंचा मुख्यमंत्री नल जल योजना में अनियमितता का मामला

संवाद सहयोगी उधवा (साहिबगंज) स्थानीय विधायक अनंत ओझा ने उधवा प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 06:37 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 06:37 PM (IST)
विस में पहुंचा मुख्यमंत्री नल जल योजना में अनियमितता का मामला
विस में पहुंचा मुख्यमंत्री नल जल योजना में अनियमितता का मामला

संवाद सहयोगी, उधवा (साहिबगंज) : स्थानीय विधायक अनंत ओझा ने उधवा प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में मुख्यमंत्री नल जल योजना में हुई गड़बड़ी का मामला विधानसभा में उठाया है। प्रश्नकाल में उन्होंने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया।

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इस संबंध में दैनिक जागरण में छह फरवरी को विस्तार से खबर छपी थी। समाचार में उधवा प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में मुख्यमंत्री नल जल योजना के स्थल चयन में पेयजल व स्वच्छता विभाग की मनमानी का जिक्र किया गया था। बताया गया था कि इससे योजना के वांछित लाभुकों को लाभ नहीं मिल रहा है। विभाग ने गुपचुप तरीके से योजना का चयन कर ग्राम पंचायत तथा ग्रामसभा की मंजूरी के बिना मनमाने तरीके से स्वीकृति दी गई। निर्माण कार्य पूरा होने पर ठेकेदार ने चार वर्ष की देखरेख की शर्त से बचने के लिए गुपचुप तरीके से इसमें जलसहिया व मुखिया के हस्ताक्षर कराने के दौरान योजना का खुलासा हुआ। मुख्यमंत्री नल जल योजना का लाभ सभी एससी, एसटी एवं पीटीजी यानी आदिम जनजाति के गांवों में देना है। जिले के एससी, एसटी टोला में 15 कनेक्शन एवं पीटीजी टोला में 10 घरों में इस योजना से कनेक्शन दिया जाएगा।

विभाग के कनीय अभियंता अनूप कुमार ने बताया कि उधवा प्रखंड की पतौड़ा पंचायत में दो, कटहलबाड़ी में तीन, मोहनपुर पंचायत के नुराई में एक तथा कामुडांगा में दो, आतापुर पंचायत में एक तथा सुतियारपाड़ा में दो जलमीनार निर्माण तीन माह पूर्व हुआ लेकिन एक भी घर को कनेक्शन नहीं दिया गया है। सिर्फ मोहनपुर पंचायत के नुराई संताली में पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू किया गया था। सुतियारपाड़ा तथा पतौड़ा पंचायत के ही मुहल्ले में दो दो ऐसी योजना बनाई गई है जहां एससी-एसटी व आदिम जनजाति वर्ग के एक या दो परिवार भी नहीं हैं। सुतियारपाड़ा के आदिवासी बहुल इलाके में योजना नहीं बनाई गई है। मोहनपुर पंचायत में कामुडांगा के एक ही मुहल्ले में दो जलमीनार निर्माण किया गया है जहां की आबादी भी बहुत कम है। यहां की एक योजना की जानकारी विभाग को नहीं है। योजना में मुख्यमंत्री नल जल योजना का बोर्ड भी नहीं लगाया गया है। वीआरजी कंपनी का बोर्ड लगा है। पुराने खराब चापाकल में कनेक्शन दिया गया है जिससे पानी टंकी भी नहीं भरता है। नींव हिल रही है जबकि योजना में तीन लाख 84 हजार रुपये की लागत आई है।

ऑनलाइन डाटा के आधार पर बनी योजना का निर्माण : पेयजल व स्वच्छता विभाग के जिला समन्वयक ब्रजेश कुमार ने बताया कि सभी योजनाओं का चयन ऑनलाइन डाटा के आधार पर हुआ है। पंचायत कार्यकारिणी या ग्रामसभा में योजना का चयन नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री नल जल योजना में जल जीवन मिशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पांच हजार लीटर पानी टंकी से गांव में दस से 15 घर में पानी का कनेक्शन दिया जाना है। राज्य स्तर से योजना में टेंडर किया गया है। पुराने चापाकल तथा चालू जलस्त्रोत से जलापूर्ति करने की योजना है। निर्माता कंपनी को पांच साल तक मेनटेनेंस का काम देखने के बाद उसे पंचायत के मुखिया तथा जल सहिया को योजना हैंड ओवर करने की प्रक्रिया है। इस संबंध में विधायक अनंत कुमार ओझा ने विधानसभा में पेश निवेदन में अनियमितता की जांच की मांग की है।


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