बीए पास मेनजेके गोटे कनके बीसी
साहिबगंज-मिर्जाचौकी मार्ग में जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर आगे बढ़ने पर आता है महादेबगंज। यहां से एक सड़क बायीं ओर जाती है। बिल्कुल कच्ची। इसी रोड में भारतीय खाद्य निगम का गोदाम भी है। ट्रकों के चलने से धूल उड़ रही है। सड़क की सूरत देखकर नहीं लगता कि कभी इसका पक्कीकरण किया गया है।
साहिबगंज : साहिबगंज-मिर्जाचौकी मार्ग में जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर आगे बढ़ने पर आता है महादेवगंज। यहां से एक सड़क बायीं ओर जाती है। बिल्कुल कच्ची। इसी रोड में भारतीय खाद्य निगम का गोदाम भी है। ट्रकों के चलने से धूल उड़ रही है। सड़क की सूरत देखकर नहीं लगता कि कभी इसका पक्कीकरण किया गया है। हालांकि सड़क से आ रहे एक युवक ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत इसका निर्माण कराया गया था। तत्कालीन राज्य सरकार तक ठेकेदार की पहुंच थी। इस वजह से काम क्या होगा इसका आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं। इस सड़क के दोनों ओर क्रशर हैं। सुबह के करीब दस बजने को हैं। इस वजह से क्रशरों में काम शुरू हो चुका है परिणामस्वरूप दोनों तरफ धूल उड़ रही है। बीच-बीच में ट्रकों के चलने से धूल उड़ती है वह अलग। मुख्य मार्ग से करीब पांच किलोमीटर की दूरी तय करने पर आता है मारीकुट्टी गांव। इनमें करीब तीन किलोमीटर खतरनाक चढ़ाई है। हालांकि, पत्थर ढोने वाले वाहन इस मार्ग पर चलते हैं। अन्य पहाड़िया गांवों की तरह यहां भी 45 घरों में अधिकतर कच्चे हैं। एक-दो पक्का मकान बन रहे हैं। उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वह बन रहा होगा लेकिन गांव में मिले विजय पहाड़िया बताते हैं कि गांव में अब तक एक भी प्रधानमंत्री आवास नहीं बना है। बिजली के बारे में पूछने पर वे कहते हैं अब तक नहीं आयी है। घर के सामने गड़े पोल को दिखाने पर वे कहते हैं कि यह देखने के लिए ही है। वे कहते हैं कि गांव में तीन सोलर लाइट लगाई गई है जिससे रोशनी होती है। कुछ लोगों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला है। आयुष्मान कार्ड भी मिला। हालांकि एक भी पीएम आवास व शौचालय का निर्माण यहां नहीं हुआ। गांव में एक स्कूल है जिसके नियमित खुलने का प्रमाणपत्र ग्रामीण देते हैं। इस गांव का एकमात्र युवक मनोरंजन मालतो एसडीओ ऑफिस में कार्यरत है। हालांकि गांव के अधिकतर युवक पढ़े लिखे हैं। गांव में ही मौजूद राजेश मालतो कहता है- बीए पास मेनजेके गोटे कनके बीसी यानी बीए पास करके भी तो लकड़ी ही बेचना है। इस गांव के अमित मालतो, राजू मालतो, सामिएल मालतो आदि बीए पास हैं। अमित मालतो कहता है कि कई बार नौकरी के लिए आवेदन दिया लेकिन कुछ नहीं हुआ। गांव के युवक बताते हैं कि इस गांव के लोग आज भी कुएं के पानी से ही प्यास बुझाते हैं। करीब एक किलोमीटर की दूरी तक कर पानी लाना पड़ता है। हालांकि इस गांव में बोरिग करनेवाली गाड़ी पहुंच सकती है लेकिन इसके बाद भी शायद प्रशासनिक पदाधिकारियों की नजर इस ओर नहीं गई है। विधानसभा चुनाव की चर्चा चलने पर विजय पहाड़िया कहते हैं कि गांव में कोई भी प्रत्याशी वोट मांगने नहीं आता। जीतने के बाद आने की तो बात ही छोड़ दीजिए। वे कहते हैं कि चुनाव के दिन वे लोग पहाड़ से नीचे उतरते हैं और किसी एक प्रत्याशी को मत दे देते हैं। उनलोगों का मतदान केंद्र भवानीचौकी में है। पिछली बार यहां के लोगों ने स्थायित्व के लिए मतदान किया था। इस बार क्या करेंगे यह अभी तय नहीं है।