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प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित महसूस करतेआदिवासी

आदिवासी दिवस पर रविवार को जिले में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। साहिबगंज में आदिवासी कल्याण छात्रावास की ओर से कॉलेज के बीएड भवन में मास्क व शारीरिक दूरी का पालन करते हुए विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 06:10 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 06:10 PM (IST)
प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित महसूस करतेआदिवासी
प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित महसूस करतेआदिवासी

साहिबगंज : आदिवासी दिवस पर रविवार को जिले में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। साहिबगंज में आदिवासी कल्याण छात्रावास की ओर से कॉलेज के बीएड भवन में मास्क व शारीरिक दूरी का पालन करते हुए विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि साहिबगंज कॉलेज के प्रो. डॉ. रंजीत कुमार सिंह, डॉ. सिदाम सिंह मुंडा व प्रो. अनु सुमन बाड़ा शामिल हुए। आदिवासी दिवस पर डॉ. सिदाम सिंह मुंडा ने आदिवासी की जीवन शैली की महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि आदिवासियों का प्रकृति के साथ आत्म संबंध होता है।

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वे प्रकृति वातावरण में ही अपने को संरक्षित व सुरक्षित महसूस करते है। इनके हर त्योहार में प्रकृति की पूजा की जाती है। आदिवासी समाज प्रकृति को ही अपना देवता मानकर पूजा-पाठ करते हैं। आदिवासी न होते तो प्रकृति न होती। प्रो. अनु सुमन वाड़ा ने संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्ययोजनाओं की चर्चा करते हुए आदिवासियों के लिए की गई घोषणाओं के बारे में विस्तार से बताया। वहीं डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने आदिवासी दिवस के महत्व व प्रासंगिकता को बताया। कहा कि आदिवासी समाज शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे है। मौके पर गंगाराम सोरेन, विकास मुर्मू, गूगल मिस टुडू, भादो मुर्मू आदि उपस्थित थे। हक व अधिकार को जानने के लिए शिक्षित होना जरूरी पतना प्रखंड के धरमपुर गाव में प्रो. विश्वनाथ हांसदा के फॉर्म हाउस में रविवार को विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। मुख्य अतिथि बरहडवा बीडीओ सह पतना सीओ समीर अल्फ्रेड मुर्मू व विशिष्ट अतिथि प्रो. विश्वनाथ हांसदा उपस्थित थे। इस मौके पर मुख्य अतिथि ने कहा कि आदिवासियों को अपने हक व अधिकार को जानने के लिए शिक्षित होना जरूरी है। शिक्षित समाज से ही देश का विकास संभव होगा। आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के केंद्रीय सदस्य लाउस हांसदा ने कहा कि जिस तरह लोग धर्म ग्रंथ को पढ़ते हैं उसी तरह हर आदिवासियों को भारतीय संविधान को पढ़ना अनिवार्य है। संविधान पढ़ने से ही आदिवासियों को प्रदात अधिकार का ज्ञान होगा व संरक्षण भी होगा। मौके पर आदिवासी जागवार बैसी के मनोज टुडू, संटु किस्कू, लोरेंस सोरेन, देव सोरेन, मंगत किस्कू, मनोज हेम्ब्रम, मरकुस हेम्ब्रम, हरि हेम्ब्रम, संजय हांसदा, मेरी मुर्मू, स्नेहलता हेम्ब्रम, गोपाल हेम्ब्रम, निकुदिमस हेम्ब्रम, संजय टुडू, विमल व अन्य थे। विदेशों में भी आदिवासी समुदाय के लोगों को मिली कामयाबी

विश्व आदिवासी दिवस पर विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कहा कि पुरे देश में ही नहीं विदेशों में आदिवासी समुदाय के लोगों ने अपने क्षेत्रो में कामयाबी पाई है। आदिवासी समाज के उत्थान के लिए आगे आने की जरूरत है। समाज को शिक्षा को बढ़ाने की जरूरत है। युवाओं को हरेक क्षेत्र में आगे बढ़ने की जरूरत है। सब मिलकर आदिवासी समाज के उत्थान के लिए एक संकल्प लेते हुए वीर सिदो-कान्हू को नमन करते हैं।


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