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विश्व दुग्ध दिवस: प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का सबसे सुगम साधन दुग्ध उत्पादन

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा 2001 से एक जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 02:20 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 02:20 AM (IST)
विश्व दुग्ध दिवस:  प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का सबसे सुगम साधन दुग्ध उत्पादन
विश्व दुग्ध दिवस: प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का सबसे सुगम साधन दुग्ध उत्पादन

मधुरेश नारायण, राची

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संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा 2001 से एक जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाए जाने की शुरुआत की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में स्थिरता, आíथक विकास, आजीविका, और पोषण के योगदान की महत्ता की ओर जागरूक करना है। इस दिवस को प्राकृतिक दूध के सभी पहलुओं के बारे में आम जनता की जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। झारखंड प्रकृति की गोद में बैठा राज्य है। यहा के किसानों के लिए पशु पालन में बड़ी संभावनाएं है। हमारे यहा दूध की माग से आधा भी उत्पादन नहीं होता है। दूध की आपूíत के लिए हमें बिहार पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में किसानों और जो प्रवासी मजदूर राज्य में रहकर काम करना चाहते हैं। उनके लिए डेयरी उत्पादन से जुड़ने का भी अच्छा अवसर है। कोरोना संक्रमण के बाद झारखंड देश में दूसरी स्वेत क्राति का झडा आगे लेकर चल सकता है।

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कैसे डेयरी खोलेगी रोजगार के द्वार

केवल दूध उत्पादन के मामले में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने से करीब पांच लाख लोगों को रोजगार का साधन मिल सकता है। झारखंड मिल्क फेडरेशन राज्य में पशुपालकों से दूध इकट्ठा कर प्रोसेसिंग करती है। इससे करीब एक लाख लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े है। करीब 20 हजार पशुपालक सीधे संस्था को दूध दे रहे है। इनके बीच 12 से 15 करोड़ रुपये का भुगतान प्रतिमाह हो रहा है। प्रवासी मजदूर सरकारी मदद से दुधारू गाय लेकर दूसरे दिन से रोजगार शुरू कर सकते हैं। प्रदेश में राज्य सरकार और मिल्क फेडरेशन मिलकर जल्द ही तीन प्लाट शुरू करने वाला है। साहेबगंज, सारठ और पलामू में 50-50 हजार लीटर दूध का प्रोसेसिंग प्लाट तैयार होने वाला है। इन प्लाट्स के शुरू होने के बाद दूध की जरूरत बढ़ेगी। प्रदेश में देसी गाय की दूध की गुणवत्ता बहुत अच्छी है। हरे चारे की खेती को बढ़ावा देकर दूध की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में बढ़ोतरी की जा सकती है। प्रदेश में अधिक पशु की उपलब्धता बढ़ने से इस व्यवसाय को जैविक खेती से जोड़ा जा सकता है। इससे हमारे यहा जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।

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क्या कहते हैं वैज्ञानिक::

वैज्ञानिकों की माने तो दूध शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्वों का एक अच्छा स्त्रोत है जिसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, फॉस्फोरस, आयोडिन, आयरन, पोटैशियम, फोल्लेट्स, विटामिन ए, विटामिन डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन-बी 12, प्रोटीन, स्वस्थ्य वसा आदि मौजूद होता है। जो शरीर को तुरंत उर्जा उपलब्ध कराने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास करता है, क्योंकि इसमें उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन सहित आवश्यक एमिनो एसिड एवं फैटी एसिड मौजूद होता है।


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