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World Cancer Day 2021: बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के बढ़ रहे मामले, जानें इसका कारण व निदान

Cervical Cancer Causes सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कारण 80 प्रतिशत महिलाओं में फैलता है। मां से बच्चे में तथा कम उम्र में शादी और कई पुरुषों से संबंध के कारण भी यह बीमारी महिलाओं में होती है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 04:33 PM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 04:39 PM (IST)
World Cancer Day 2021: बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के बढ़ रहे मामले, जानें इसका कारण व निदान
रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से भी यह कैंसर होता है।

रांची, जासं। बच्चेदानी के मुंह के कैंसर यानि सर्वाइकल कैंसर से महिलाओं को बचाने के लिए उनमें जागरुकता लाना काफी जरूरी है। इस कैंसर से बचने के लिए अब वैक्सीन उपलब्ध है। इसे 9 साल से 26 साल तक की महिलाओं को लेना चाहिए। अपने देश में हर साल 30 हजार महिलाओं की मौत बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से हो जाती है। यह महिलाओं की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाला यह दूसरा सबसे आम कैंसर है। उक्त बातें विश्व कैंसर दिवस के मौके पर एचईसी धुर्वा स्थित पारस हॉस्पिटल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाॅ. अंशु अग्रवाल ने कही।

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उन्होंने बताया कि यह कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कारण 80 प्रतिशत महिलाओं में फैलता है। यह 40 से 55 वर्ष की महिलाओं में देखा जाता है। मां से बच्चे में तथा कम उम्र में शादी और कई पुरुषों से संबंध के कारण यह कैंसर फैलता है। उन्होंने कहा कि धूम्रपान करना भी इसके कारण माने जाते हैं। अगर परिवार में किसी को यह कैंसर होता है तो इसका असर आने वाली पीढ़ी पर भी पड़ने की संभावना रहती है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम रहने के कारण भी यह कैंसर होता है।

पेट में दर्द, वजन घटना, थकान महसूस होना इसके लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण की चर्चा करते हुए डाॅ. अंशु ने कहा कि संभोग के बाद तथा मासिक धर्म बंद होने के बाद खून गिरना इसके प्रमुख लक्षण माने गए हैं। इसके अलावा पेट में दर्द, पेशाब करने में दर्द, वजन कम होना तथा थकान महसूस होना भी इसके लक्षण हैं। शुरुआती दौर में पकड़े जाने के बाद यह कैंसर पूरी तरह से ठीक हो जाता है। इसलिए 21 वर्ष की उम्र के बाद से हर तीन साल पर सभी महिलाओं को इसकी स्क्रीनिंग करानी चाहिए। पैप स्मीयर टेस्ट से इस कैंसर के होने का पता आसानी से लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस टेस्ट को कराते रहने से शुरुआती दौर में यह कैंसर पकड़ा जा सकता है। इस अवधि में इलाज से इसके पूर्णतः ठीक होने की संभावना रहती है।


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