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Jharkhand Tribal Farmer: पांचवीं पास आदिवासी किसान का कमाल, जुगाड़ तकनीक से निकाल रहे लेमनग्रास से तेल

Jharkhand Tribal Farmer महज पांचवीं पास 45 वर्षीय आदिवासी किसान चाड़ा पाहन ने जुगाड़ तकनीक से आसवन केंद्र स्थापित कर लिया है। वे लेमनग्रास से तेल निकाल रहे हैं। इसके लिए कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है। बस देखा समझा और जुगाड़ तकनीक के सहारे आसवन केंद्र बना लिया।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 01:09 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 01:09 PM (IST)
Jharkhand Tribal Farmer: पांचवीं पास आदिवासी किसान का कमाल, जुगाड़ तकनीक से निकाल रहे लेमनग्रास से तेल
महज पांचवीं पास आदिवासी किसान चाड़ा पाहन ने जुगाड़ तकनीक से आसवन केंद्र स्थापित कर लिया है।

खूंटी{दिलीप कुमार}। महज पांचवीं पास 45 वर्षीय आदिवासी किसान चाड़ा पाहन ने जुगाड़ तकनीक से आसवन केंद्र स्थापित कर लिया है। वे लेमनग्रास से तेल निकाल रहे हैं। इस काम के लिए उनके पास न किसी प्रकार की डिग्री है और न ही प्रशिक्षण लिया है। बस, देखा, समझा और जुगाड़ तकनीक के सहारे आसवन केंद्र बना लिया। खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड क्षेत्र के नक्सल प्रभावित कोजडोंग गांव के रहने वाले चाड़ा पाहन पिछले साल से लेमनग्रास की खेती कर रहे हैं। दरसअल, लेमनग्रास की खेती से संबंधित प्रशिक्षण के लिए मुरहू गए थे।

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वहां उन्होंने तेल निकालने वाली मशीन को गौर से देखा व समझा। गांव लौटने के बाद जुगाड़ तकनीक से महज आठ हजार रुपये में ही प्रोसेसिंग प्लांट तैयार कर दिया। इस पहल से उत्साहित होकर 40 हजार खर्च कर एक और प्लांट विकसित कर लिया। इसमें अधिक रुपये इसलिए लगे कि यह कुछ ज्यादा अपडेट है। वैसे अगर वह बाजार से ऐसा प्लांट खरीदते तो इसकी कीमत पांच लाख से लेकर 19 लाख तक पड़ती। बहरहाल, अफीम की खेती के लिए सुर्खियों में रहनेवाले खूंटी में परंपरागत खेती के साथ ही आधुनिक तरीके से लेमनग्रास की खेती शुभ संकेत है। खेती भी वैसे स्थानों में हो रही, जहां पहले जमीन खाली रहती थी।

पहाड़ी क्षेत्र में अनुपयोगी जमीन में खेती कर किसान अतिरिक्त आमदनी करने लगे हैं। मुरहू प्रखंड क्षेत्र के कोजडोंग गांव के 11 किसान करीब 21 एकड़ में लेमनग्रास की खेती कर रहे हैं। ये वैसे किसान हैं जो घास की खेती कर मुनाफा का तेल निकाल रहे हैं। सेवा वेलफेयर सोसायटी के माध्यम से खेती कर रहे इन किसानों को लेमनग्रास की खेती का गुर सिखाने के लिए एक दिन का प्रशिक्षण दिया गया था। चाड़ा पाहन भी लेमनग्रास की खेती कर रहे हैं। उन्होंने चार एकड़ में खेती की है। बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक मुनाफा होने की उम्मीद है। इस समय बाजार में लेमनग्रास तेल की कीमत 1300 रुपये प्रति लीटर है। इस उत्पाद को फिलहाल जेएसएलपीएस खरीद रहा है।

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख खुद चलकर आए थे आसवन केंद्र देखने

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी चाड़ा पाहन की जुगाड़ तकनीक देखकर उनका हौसला बढ़ा चुके हैं। वह खुद आसवन केंद्र देखने आए थे। उन्होंने कहा कि था कि ग्रामीणों में कई इनोवेटिव आइडियाज होते हैं, उन्हें भी प्रेरित किया जाएगा। आसवन केंद्र को हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी दिया था।

गुणों की खान लेमनग्रास : लेमनग्रास एक पौधा है, जिसका इस्तेमाल औषधि के रूप में होता है। अधिकतर घरों में इसका इस्तेमाल चाय और सूप आदि में किया जाता है, क्योंकि इसमें नींबू जैसी खुशबू होती है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-फंगल व एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं। कैंसर जैसी बीमारी में यह असरदायक माना गया है। शरीर की इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है। इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल परफ्यूम, साबुन, हेयर आयल, म'छर लोशन, सिरदर्द की दवा व कास्मेटिक बनाने में होता है।


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