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बैलगाड़ी पर लदकर वोट देने जाती थीं महिलाएं

पिठोरिया थाना क्षेत्र के हुंडुर स्थित बारी टोला निवासी महिला कहताी हैं कि चुनाव का तरीका बदल गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 06:39 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 06:39 AM (IST)
बैलगाड़ी पर लदकर वोट देने जाती थीं महिलाएं
बैलगाड़ी पर लदकर वोट देने जाती थीं महिलाएं

विनोद श्रीवास्तव, रांची

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पिठोरिया थाना क्षेत्र के हुंडुर स्थित बारी टोला निवासी 85 वर्षीया झमन देवी में मतदान के प्रति उत्साह आज भी बरकरार है। वह कहती हैं, अबतक के जीवन में दो-चार बार ही कुछ ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हुई, जब वह मतदान से वंचित रह गई थी। पुरानी बातों को याद करते हुए वह कहती हैं, आजादी के समय राची किसी बड़ी बस्ती के समकक्ष थी। बुनियादी सुविधाओं से वह खुद जूझ रही थी, फिर बारी टोला की स्थिति क्या रही होगी, आकलन किया जा सकता है। खेत, पगडंडिया, बाग-बगीचे और इक्के-दुक्के पक्के मकानों के अलावा कुछ झोपड़ियां।

झमन देवी कहती हैं, तब न तो अखबार का ही इतना क्रेज था और न ही टेलीविजन का ठिकाना। चुनाव की घोषणा से लेकर मैदान में खड़े प्रत्याशी, मतदान की तिथियों आदि की जानकारी रेडियो से मिलती थी। हां एक और साधन तब हुआ करता था ढोल। गांव-गांव में ढोल बजाकर चुनाव से संबंधित जानकारियां साझा की जाती। आज की तरह उन दिनों बहुत तामझाम नहीं होता था।

वह कहती हैं, तब गाड़ी-घोड़ा बहुत कम होता था। गांव की महिलाएं बैलगाड़ी से लदकर तकरीबन तीन किलोमीटर दूर हुंडुर मतदान करने जाती थी। प्रत्याशी या तो साइकिल, मोटरसाइकिल या फिर पैदल चुनाव प्रचार करने आते थे। इस कड़ी में वे घर-घर जाकर मतदाताओं से जीत का आशीर्वाद लेते थे। जीतने के बाद फिर आभार प्रकट करने जरूर आते थे। अब ऐसा कहां होता है। सबकुछ बदल गया है। पहले जैसा अभी चुनाव नहीं हो रहा है। दैनिक जागरण आपके दीर्घायु होने की कामना करता है।

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