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हेमंत सरकार के राज में हैवानियत बढ़ा रही चिंता, अराजक तत्वों के बढ़े हौसले

राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि इससे राज्य में अशोभनीय व निंदनीय घटनाओं में कमी आएगी। मुख्य न्यायाधीश ने इस पर सहमति जताते हुए कहा है कि पुलिस ऐसे मामलों की पहचान कर अदालत को सौंपे ताकि इनका तेजी से निपटारा कर दोषियों को दंडित किया जा सके।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 10:07 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 05:19 PM (IST)
हेमंत सरकार के राज में हैवानियत बढ़ा रही चिंता, अराजक तत्वों के बढ़े हौसले
राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने बेटियों के प्रति राज्य में बने डरावने माहौल पर कड़ी नाराजगी जताई है।

रांची, प्रदीप शुक्ला। हेमंत हैं तो हिम्मत है, हेमंत हैं तो हौसला है- जैसे नारों के साथ झारखंड में सत्ता में आई और अबुआ दिशुम, अबुआ राज (हमारा देश, हमारा राज्य) का नारा देने वाली हेमंत सरकार में बेटियों पर आफत सी टूट पड़ी है। हर दिन पांच से ज्यादा बेटियों, महिलाओं की अस्मत लुट रही है और सरकार कोई सख्त कदम उठाती नहीं दिख रही है। इससे अराजक तत्वों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने भी दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई है। उन्होंने मुख्यमंत्री को राजभवन बुलाकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा है, ताकि राज्य की छवि न खराब हो। विपक्ष पहले से ही इस मुद्दे को लेकर गठबंधन सरकार पर हमलावर है। बावजूद इसके पुलिस की तंद्रा टूटती नहीं दिख रही है।

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रांची में पाई गई सिरकटी युवती की लाश की गुत्थी सुलझाने में पुलिस को 10 दिन लग गए। पूरे प्रदेश में इसको लेकर उबाल अभी थमा भी नहीं है कि अब पतरातू में एक मेडिकल छात्र की हाथ-पैर बंधी लाश बरामद हुई है। उसके साथ भी दुष्कर्म की आशंका जताई जा रही है। शायद ही कोई दिन बीत रहा हो जब प्रदेश के किसी हिस्से से बेटियों के साथ हैवानियत की घटना प्रकाश में नहीं आ रही हो। यदि बीती जनवरी से नवंबर तक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो महिला सुरक्षा के मोर्चे पर सरकार की विफलता साफ नजर आ रही है। इन 11 महीनों में राज्य में 1,657 बच्चियां और महिलाएं हवस का शिकार हुई हैं।

ये आंकड़े उस समय के हैं जब कोरोना के चलते कई महीने तक राज्य में सख्त लॉकडाउन रहा है। ऐसे में विपक्ष के पास यह कहने के वाजिब कारण हैं कि राज्य की कानून-व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है, खासकर बेटियों की सुरक्षा के मामले में। पुलिस-प्रशासन की तरफ से ऐसे कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिससे ऐसा प्रतीत हो कि आने वाले समय में भी ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा। जब सरकार की तरफ से पुलिस-प्रशासन को सख्त संदेश दिए जाने की जरूरत है, तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पार्टी के महासचिव और यहां तक कि राज्य के पुलिस महानिदेशक के कुछ ऐसे बयान जरूर आए हैं, जिससे आधी आबादी में भय और बढ़ा ही होगा।

दुमका में एक प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोरोना काल के चलते लोगों में मानसिक विकार बढ़ गया है, इसलिए दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ गई हैं। इतना ही नहीं, विधानसभा के विशेष सत्र में भी उन्होंने विपक्ष द्वारा यह मामला उठाए जाने पर कहा था कि जिओ फ्री में नेट दे रहा है, जिसके चलते ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान की जितनी भी मजम्मत की जाए कम ही है। इस बीच पुलिस महानिदेशक एमवी राव ने कहा कि सिर्फ पुलिस के भरोसे दुष्कर्म की घटनाएं नहीं रोकी जा सकती हैं। इसके लिए समाज को भी बदलाव लाना होगा। विभिन्न सामाजिक और महिला संगठनों से लेकर विपक्षी भाजपा ने गठबंधन सरकार को महिलाओं के प्रति असंवेदनशील ठहराते हुए राज्य भर में धरना-प्रदर्शन तक किए। भाजपा ने नया नारा भी दे दिया, हेमंत हैं तो डर है.। भाजपा कह रही है, हेमंत के राज्य में महिलाएं खौफजदा हैं। व्यापारी डरे हुए हैं। भाजपा पूछ रही है, सरकार है कहां? आम जन कराह रहा है और सरकार को अवैध खनन व तबादला-तैनाती में धन उगाहने से फुर्सत नहीं है।

राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने बेटियों के प्रति राज्य में बने डरावने माहौल पर कड़ी नाराजगी जताई है। तमाम संगठनों और दलों ने भी अपनी बातें राजभवन तक पहुंचाई हैं। मुख्यमंत्री ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अविलंब आवश्यक कदम उठाएं और पुलिस-प्रशासन को जवाबदेह बनाएं। इसमें किसी प्रकार की कोताही न हो। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को आश्वस्त किया है कि ऐसे कृत्य करने वाले लोग बख्शे नहीं जाएंगे। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के साथ-साथ झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन से भी फोन पर बात कर उन्हें सुझाव दिया है कि ऐसे मामलों में दोषियों को शीघ्र सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाए, ताकि इन मामलों का त्वरित गति से निष्पादन हो सके और अपराधियों को सजा मिल सके। वैसे मामले जिनमें अभियुक्त तुरंत गिरफ्तार हो गए हों, उन्हें तत्काल दंडित करने की व्यवस्था सुनिश्चित हो। 

[स्थानीय संपादक, झारखंड]


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