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कौन दबाए बैठा है रांची के डिप्टी मेयर के खिलाफ जांच रिपोर्ट? Ranchi News

रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर रांची जिला प्रशासन के स्तर से कराई गई जांच की रिपोर्ट नगर विकास विभाग को अभी तक नहीं मिली है। नगर विकास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने रांची में उपायुक्त का ध्यान...

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 08:31 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 08:31 PM (IST)
कौन दबाए बैठा है रांची के डिप्टी मेयर के खिलाफ जांच रिपोर्ट? Ranchi News
कौन दबाए बैठा है रांची के डिप्टी मेयर के खिलाफ जांच रिपोर्ट। जागरण

रांची (राज्य ब्यूरो)। रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर रांची जिला प्रशासन के स्तर से कराई गई जांच की रिपोर्ट नगर विकास विभाग को अभी तक नहीं मिली है। नगर विकास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने रांची में उपायुक्त का ध्यान अब इस ओर आकर्षित कराने के लिए अब डीओ लेटर जारी किया है। इसके पूर्व आधा दर्जन से अधिक बार रिमाइंडर पत्र जारी किए गए लेकिन डीसी कार्यालय ने रिपोर्ट नहीं भेजी। मामले में लोकायुक्त के कोर्ट में भी परिवाद चल रहा है। लोकायुक्त के निर्देश पर ही उपायुक्त ने उप विकास आयुक्त को जांच का निर्देश दिया था।

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डीडीसी के स्तर से जांच पूरी होने की सूचना भी मिली है। ऐसे में कोई ना कोई रिपोर्ट दबाकर बैठ गया है। जानकारी के अनुसार डिप्टी मेयर के खिलाफ जांच के लिए उपायुक्त और फिर लोकायुक्त के पास शिकायत की गई थी। लोकायुक्त ने इसके बाद उपायुक्त को जांच कराने की जिम्मेदारी दी जिसपर उप विकास आयुक्त के नेतृत्व में टीम बनाकर जांच भी की गई। इस मामले को इसी स्तर पर रफा-दफा कर दिया गया। आरोप है कि डिप्टी मेयर ने अपने बेटे की कंपनी को ठेके दिलवाने में मदद की और इस प्रकार करोड़ों के वारे-न्यारे हुए। इतना ही नहीं, विधायक मद से बनी सड़क के ऊपर नई सड़क बनवाने का भी आरोप लगा।

टेंडर मैनेज करने में बड़े पैमाने पर नियमों की अवहेलना की है। लोकायुक्त ने इस मामले में एसीबी को जांच कराने का निर्देश दिया। प्रारंभिक जांच शुरू करने के मंत्रिमंडल निगरानी विभाग ने नगर विकास विभाग से मंतव्य मांगा है। अब पत्राचार और रिमांइडर (स्मार पत्र) भेजने का सिलसिला शुरू हुआ जो अनवरत जारी है। लोकायुक्त कार्यालय से एसीबी को, एसीबी से मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को और मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से नगर विकास विभाग को पत्र लिखकर अद्यतन स्थिति की जानकारी मांगी जा रही है।


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