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Omicron in Jharkhand : झारखंड में ओमिक्रोन है या नहीं, अगले साल ही चल सकेगा पता

जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग के लिए भुवनेश्वर भेजे जा रहे झारखंड से सैंपल। रिपोर्ट आने में होती है देर। झारखंड में रिम्स और एमजीएम में लगनी है मशीन लेक‍िन टेंडर भी नहीं हो सका है। यही कारण है क‍ि ओम‍िक्रोन के बारे में जानकारी म‍िलने में देरी हो सकती है।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 07:00 AM (IST)
Omicron in Jharkhand : झारखंड में ओमिक्रोन है या नहीं, अगले साल ही चल सकेगा पता
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर सतर्कता बढ़ गई है।

रांची, (राज्य ब्यूरो) : कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर सतर्कता बढ़ गई है, लेकिन जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग जांच की सुविधा अभी तक शुरू नहीं हो पाने के कारण इसकी पहचान को लेकर संकट बना हुआ है। अब यह साल भी खत्म होने को है। ऐसे में अब अगर नई मशीनें लगाकर जीनोम सिक्वेसिंग जांच शुरू भी की जाती है तो इसका लाभ लोगों को अगले साल ही मिल सकेगा।

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सभी उपायुक्‍तों को कोरोना जांच की रफ्तार बढ़ाने का न‍िर्देश

राज्य सरकार ने सभी उपायुक्तों को अलर्ट करते हुए कोरोना जांच व टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने तथा नए वैरिएंट से निपटने को लेकर सभी तरह के आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए हैं। दक्षिण अफ्रीका सहित 12 अति जोखिम वाले देशों से झारखंड लौटे 126 लोगों की पहचान कर उनकी आरटीपीसीआर जांच करने तथा पाजिटिव पाए जाने पर सैंपल की जीनोम सिक्वेंङ्क्षसग कराने के निर्देश दिए गए हैं। अन्य पाजिटिव सैंपल की भी रैंडमली जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग होनी है, लेकिन राज्य में जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग मशीन नहीं होने से रिपोर्ट आने में देरी हो सकती है।

एक से डेढ़ माह बाद ही मिल पाती है रिपोर्ट

राज्य में अभी तक जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग मशीन नहीं होने से सैंपल भुवनेश्वर स्थित लैब भेजे जा रहे हैं। रिम्स द्वारा ही 128 सैंपल जांच के लिए वहां भेजे गए हैं। पूर्व के अनुभवों के अनुसार ओड‍िशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित लैब में जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग होने में एक से डेढ़ माह लग जाते हैं। यदि ऐसा हुआ तो वर्ष 2022 में ही चल पाएगा कि राज्य में ओमिक्रोन का संक्रमण पहुंचा है या नहीं।

रांची के रिम्स तथा जमशेदपुर के एमजीएम में लगनी थी मशीन

राज्य में जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग मशीन रांची के रिम्स तथा जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में लगने थे, लेकिन बताया जाता है कि अभी तक मशीनों के क्रय के लिए टेंडर ही नहीं पाया है। बताया जाता है कि राज्य सरकार पूर्व में इसकी अविलंब आवश्यकता को देखते हुए मनोनयन के आधार पर इसे खरीदने करने पर विचार कर रही थी, लेकिन अब इसके लिए टेंडर करने का निर्णय लिया गया है। भुवनेश्वर स्थित लैब द्वारा जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग की रिपोर्ट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को भेजी जाती है। आइसीएमआर से ही इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को मिलती है। बता दें कि जीनोम सिक्‍वेंस‍िंंग से कोरोना के स्वरूप का पता चलता है।


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