जनजातीय कल्याण मंत्रालय के गठन का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में
रांची : अनुसूचित जनजातियों के व्यापक हित को केंद्र में रखकर अलग से जनजातीय कल्याण मंत्रालय के
रांची : अनुसूचित जनजातियों के व्यापक हित को केंद्र में रखकर अलग से जनजातीय कल्याण मंत्रालय के गठन की जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की अनुशंसा ठंडे बस्ते में चली गई है। गत तीन अगस्त को हुई टीएसी की बैठक में परिषद के सदस्यों ने जनजातीय हित में केंद्र की ही तर्ज पर जनजातियों से जुडे़ मामलों की देखरेख के लिए अलग से मंत्रालय गठित किए जाने की मांग की थी, जो विचाराधीन था।
इधर, विभाग ने कल्याण विभाग और समाज कल्याण विभाग (अब महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग) के बीच नामों (कल्याण) की समानता और इसके बीच अंतर कर पाने में आम जनमानस की दुविधा को देखते हुए कल्याण विभाग का नाम बदलने का फैसला लिया है। जनजातीय बहुल अन्य राज्यों का अध्ययन करने के बाद विभाग ने इसका नामकरण अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग करने का निर्णय लिया है। विभाग के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगते ही कल्याण विभाग नए नाम से जाना जाने लगेगा।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार कल्याण और समाज कल्याण विभाग के बीच नाम का अंतर नहीं कर पाने की स्थिति में केंद्र और अन्य विभागों से आने वाले पत्र जहां इधर-उधर चले जाते थे, वहीं आगंतुकों को भी असुविधा होती थी। विभाग के इस फैसले के बाद अब सिर्फ कल्याण विभाग का नाम बदलेगा, शेष सारी गतिविधियां पूर्ववत रहेंगी। बताते चलें कि कल्याण विभाग के अधीन अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यकों के लिए दर्जनों योजनाएं उसकी अनुषंगी इकाइयों के माध्यम से संचालित होती हैं।
अनुसूचित जाति सहकारी विकास निगम, अनुसूचित जनजाति सहकारी विकास निगम, जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, वक्फ न्यायाधिकरण, राज्य अल्पसंख्यक आयोग, राज्य हज कमेटी, झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग जैसी कई इकाइयां शामिल हैं। कल्याण विभाग की ओर से संबंधित जातियों से आनेवाले लगभग 30 लाख बच्चों को जहां छात्रवृत्ति दी जाती है, वहीं अत्याचार निवारण, लीगल एड, आय वृद्धि की योजनाएं आदि संचालित हैं।
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