Weekly News Roundup Ranchi: पद छोटा है पर पैरवी हाई लेवल की...पढ़िए पुलिस विभाग की अंदरूनी खबर
Jharkhand. कार्रवाई करने वालों को यह समझ में नहीं आता कि आखिर कहां से यह जादू हो रहा है। अफसरों को लगता है कि कुछ काम बन सकता है। उसमें पूरा दिमाग भी लगाया जाता है।
रांची, [फहीम अख्तर]। Weekly News Roundup Ranchi रांची के कोतवाली थाने में एक पुलिसकर्मी की पैरवी हाई लेवल की है। उन्हें थाना स्तर से लेकर डीएसपी तक के अधिकारियों ने लाइन क्लोज करवाया। फिर भी यह पुलिसकर्मी पैरवी के दम पर उसी कुर्सी पर बार-बार आ जाता है। कार्रवाई करने वालों को यह समझ में नहीं आता कि आखिर कहां से यह जादू हो रहा है। पुलिसकर्मी छोटे पद का है पर पैरवी टाइट है। ठसक पूरी है। और ठसक क्यों न हो।
अपने वरीय अफसरों द्वारा हटाए जाने के बावजूद दोबारा उसी पद पर फिर आ जाना कोई कम बड़ी बात है क्या। एक डीएसपी ने हाल में उस पुलिसकर्मी को थाने से हटवाया था। वह दोबारा उसी पोस्ट पर फिर से आ गया। पुलिसकर्मी पर गोपनीयता भंग करने का भी आरोप लगा। आरोप-प्रत्यारोप के बाद बात कार्रवाई तक पहुंच गई। आखिरकार कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सका उस अदने पुलिसकर्मी का। हरि अनंत-हरि कथा अनंता।
सनहा का कोरम
सनहा दर्ज। कोरम पूरा। काम खत्म। बस थानों के रजिस्टर में एंट्री होगी। फिर उïन्हें रद्दी होने के लिए किसी कोने में रख दिया जाएगा। सनहा का अब इतना ही मतलब रह गया है। नियम कहता है कि थाने में आने वाले किसी भी आवेदन पर पुलिस प्रारंभिक जांच करेगी। हालांकि पुलिस शायद ही जांच करती है। जांच उन्हीं मामलों की होती है, जिसमें अफसरों को लगता है कि कुछ काम बन सकता है।
उसमें पूरा दिमाग भी लगाया जाता है। थानों में मोबाइल गुमशुदगी के हर दिन चार से पांच मामले पहुंचते हैं लेकिन उन मोबाइलों की तलाश में थानों के पुलिसकर्मी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते। नतीजा है कि मोबाइल गुमशुदगी के सनहा आवेदनों से तैयार फाइलें प्राय: सभी थानों में लाल कपड़े में ढंक कर किसी कोने में रख दिए जाते हैं। हर महीने चार से पांच हजार मोबाइल मिसिंग के मामले दर्ज होते हैं। मिलते एक भी नहीं।
अपनों के वेश में भेडिय़े
मासूम बच्चे अकेले महफूज नहीं हैं। आस-पड़ोस के दङ्क्षरदे ही उन पर गलत नजर रखे हैं। कई बार यह रिश्ते का नाम लेकर आते हैं। मामा, भैया, चाचा। अगर आपने भरोसा किया तो समझिए खतरा बढ़ा। इसी सप्ताह दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें रिश्ते कलंकित हुए हैं। बरियातू इलाकेमें गुरुवार की शाम नौ साल की बच्ची से दुष्कर्म का प्रयास किया गया। यह हरकत मामा कहलाने वाले शख्स ने की।
उसे पकडऩे में स्थानीय लोगों की भूमिका रही। विशेष तौर पर क्षेत्र की महिलाओं की। इसी तरह सुखदेवनगर इलाके में भी बीते बुधवार की रात एक नौ साल की बच्ची से दुष्कर्म किया गया। यह हरकत पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्तिने की जिसे बच्ची चाचा बुलाती थी। दोनों आरोपितों को जेल भेज दिया गया है। छोटे बच्चों के प्रति गंदी सोच रखनेवाले भेडि़ए समाज में कम नहीं। जरूरत है मासूमों पर निगाह रखी जाए। उन्हें जागरूक किया जाए।
थाने का चक्कर लगवाते साहब
रांची जिले में थाना, ओपी, टीओपी मिलाकर पुलिस के करीब 60 केंद्र हैं। सभी के इलाके बंटे हुए हैं। जिस सीमा क्षेत्र में घटना हुई, एफआइआर भी वहीं दर्ज होगी। गलती से भी दूसरे क्षेत्र का कोई मामला लेकर अगर आप पहुंच गए, तो थानों में बैठे मुंशी तमतमा जाते हैं। सीधे कहते हैं, आपको थाना क्षेत्र मालूम नहीं है क्या? मामला कितना भी गंभीर क्यों न हो, शिकायत लेकर आने वालों को उल्टे पांव लौटा दिया जाता है।
यह अमूमन रांची के हर थाने में होता है। जबकि जीरो एफआइआर दर्ज करने के बकायदा नियम हैं। लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें, तो एक-दो ही मामले अब तक जीरो एफआइआर के तहत दर्ज किए गए हैं। साइबर ठगी की शिकायत करने एक पीडि़त रातू थाना पहुंचा। वहां से उन्हें फौरन साइबर थाना भेज दिया गया। पीडि़त एसएसबी के जवान हैं। उनके खाते से 1.90 लाख रुपये उड़ा लिए गए थे।