Move to Jagran APP

गरीब बच्‍चों काे निश्शुल्क तालीम दे रही आबिदा परवीन; पढ़ें इनकी प्रेरक कहानी

Abida Parveen Wasseypur आबिदा कहती है कि सरकारी नौकरी की चाह नहीं है। बच्‍चों को तालीम देने से आत्मसंतुष्टि मिलती है। उसने बताया कि सात वर्ष पूर्व समाधान संस्था से जुड़ी थी। संस्थापक चंदन सिंह समाधान संस्‍था के माध्‍यम से गरीब बच्‍चों को पढ़ा रहे थे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 02:11 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 04:58 PM (IST)
गरीब बच्‍चों काे निश्शुल्क तालीम दे रही आबिदा परवीन; पढ़ें इनकी प्रेरक कहानी
वासेपुर की 25 वर्षीय आबिदा परवीन। जागरण

झरिया, [गोविन्द नाथ शर्मा]। मुस्लिम समाज में पर्दा प्रथा का पालन किया जाता है। अमूमन महिलाएं व युवतियां बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलती हैं। ऐसे में इसी समाज की एक बेटी तालीम की मशाल थामकर सात साल से गरीब बच्चों की जिंदगी रोशन कर रही है। हम बात कर रहे हैं धनबाद के वासेपुर की 25 वर्षीय आबिदा परवीन की। गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा आबिदा का मकसद है। बीएड की पढ़ाई कर चुकी आबि‍दा 10, 11 और 12वीं कक्षा के करीब सौ विद्यार्थियों को निश्शुल्क शिक्षा दे रही है।

loksabha election banner

हर दिन वह वासेपुर से झरिया आती है। शहीद हीरा झा संस्कारशाला में बच्‍चों काे पढ़ाती है। वह कहती है कि उसे सरकारी नौकरी की चाह नहीं है। बच्‍चों को तालीम देने से आत्मसंतुष्टि मिलती है। उसने बताया कि सात वर्ष पूर्व वह समाधान संस्था से जुड़ी। इस संस्‍था के संस्थापक चंदन सिंह समाधान संस्‍था के माध्‍यम से गरीब बच्‍चों को पढ़ा रहे थे। वह उनकी बहन दीपा सिंह से मिली। चंदन से गरीब बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने की प्रेरणा मिली। इसके बाद वह भी झरिया आने लगी।

कोरोना वायरस संक्रमण के पूर्व झरिया चिल्ड्रेन पार्क में बच्चों को सामूहिक रूप से पढ़ाती थी। मार्च 2020 से कोरोना के कारण बच्‍चों को ऑनलाइन पढ़ाने लगी। अब फि‍र से शहीद हीरा झा संस्कारशाला में आकर बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने लगी है। केसी बालिका विद्यालय झरिया की प्रतिभा कुमारी, नेहा कुमारी, अंशु कुमारी को कक्षा आठ से पढ़ाया। इन्‍होंने मैट्रिक में 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाकर आबिदा की मेहनत सार्थक कर दी।

मां व भाई ने किया प्रोत्साहित

चार बहन और एक भाई में सबसे छोटी आबिदा कहती है कि निश्शुल्क शिक्षा देने के लिए परिवार ने कभी बंदिश नहीं लगाई। पिता नवाब असगर अली का 2015 में इंतकाल हो गया। मां नूरजहां बेगम ने हमें पढ़ने और पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। भाई नवाब जफर अली ने भी हौसला बढ़ाया। वह बस अपने मिशन पर आगे बढ़ती गई। डीएवी कोयला नगर धनबाद से दसवीं व जीएन कॉलेज धनबाद से इंटरमीडिएट व ग्रेजुएशन कि‍या। राजीव गांधी शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र डिगवाडीह झरिया से बीएड किया।

चित्रकला व डांस सिखाती, बच्‍चों के साथ खेलती भी

पढ़ाई के साथ वह बच्चियों को निश्शुल्क चित्रकला और डांस भी सिखाती है। शहीद हीरा झा संस्कारशाला झरिया में समय-समय पर चित्रकला और डांस प्रतियोगिता आयोजित करती है। मेहंदी और कुकिंग प्रतियोगिता भी होती है, ताकि बच्‍चों को पढ़ाई के साथ पाठ्य सहगामी प्रक्रियाओं के माध्‍यम से आगे बढ़ाया जा सके। आबिदा की सेवाओं को देखते हुए धनबाद में गुरु सम्मान समारोह में उसे सम्मानित किया गया। समाधान संस्‍थान ने भी इस कार्य के लिए उन्‍हें प्रशस्ति पत्र देकर सराहा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.