चैत्र नवरात्रि: संक्रमण से मुक्ति के लिए मां की आराधना
चैत्र नवरात्र और हिदू नव वर्ष की शुरुआत सोमवार से शुरू हुई।
जासं, रांची : चैत्र नवरात्र और हिदू नव वर्ष की शुरुआत सोमवार से शुरू हुई। लोग अपने घरों की साफ सफाई करते दिखे। कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते प्रसार के बीच शहर के हर छोटे-बड़े मंदिरों को सजाया जा रहा है। चैत्र नवरात्र में मां के पूजन की तैयारी में आम से लेकर खास तक जुटे हैं। लोगों को विश्वास है कि चैत्र नवरात्र में मां भक्तों का कष्ट हरेंगी। लोग बाजारों में खरीदारी करते हुए दिखे। संक्रमण को देखते हुए ज्यादातर लोग अपने घरों में ही पूजा किए। बन रहे हैं अद्भुत संयोग
ज्योतिषाचार्य पं अजित मिश्रा बताते हैं कि इस बार चैत्र नवरात्र पर दो अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इस बार मां की पूजा अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू होगी। मंगलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि लग रही है। नवरात्र को घट स्थापना की जाएगी। चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे देर रात सूर्य भी मेष में आएंगे। ऐसे में यह अद्भुत संयोग है कि राशि चक्र की पहली राशि में चैत्र नवरात्र यानि संवत के पहले दिन ग्रहों के राजा और रानी स्थित होंगे। नवरात्र का आरंभ अश्विनी नक्षत्र में होगा जिसके स्वामी ग्रह केतु और देवता अश्विनी कुमार हैं। ये आरोग्य के देवता माने जाते थे। ऐसा माना जा रहा है कि मां दुर्गा कोरोना महामारी से राहत दिलाएंगी। इस बीच गुरु भी मकर राशि में कुंभ में आ चुके होंगे। गुरु का यह परिवर्तन भी कठिन समय से राहत दिलाएगा। आज मां शैलपुत्री की पूजा
ज्योतिषाचार्य पं. अजित मिश्रा बताते हैं कि नवरात्र के पहले दिन अति शुभ ग्रहों की स्थिति में मां की पूजा की जाएगी। मां के भक्त जो नौ दिनों तक पूजा करके मां को प्रसन्न करना चाहते हैं, वे कलश स्थापन कर सकते हैं। इसके लिए सुबह 4.38 बजे से लेकर 7 बजे तक का मुहूर्त उत्तम है। हालांकि मान्यता के अनुसार सूर्योदय के बाद ही कलश स्थापना करना चाहिए। हालांकि जो लोग विशेष संकल्प और अनुष्ठान के लिए मां की पूजा कर रहे हैं वे ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4.38 बजे से लेकर 5.50 बजे तक कलश स्थापित कर सकते हैं। वहीं राहू काल का समय दिन में 3.34 बजे से लेकर शाम को 5.10 बजे तक है। इस दौरान पूजा-पाठ संबंधित कोई कार्य भी नहीं करना चाहिए। ऐसे करें मां की पूजा
मां की पूजा भक्त अपनी शक्ति और इच्छा के अनुसार कर सकते हैं। मां पूरे दिल से किए हर क्रिया और प्रसाद को स्वीकार करती हैं। शास्त्रों के अनुसार नवरात्र के पहले दिन मां की पूजा के लिए सुबह नहाकर लाल वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा की तैयारी करें। इसके लिए मिट्टी का कलश, नारियल, शुद्ध मिट्टी, गंगाजल, पीतल या तांबा का कलश, कलावा, इत्र, सुपारी, सिक्का, अशोक या आम के पांच पत्ते, अक्षत-फूल आदि एकत्र कर लें। कलश की स्थापना इशान कोण में करें। सभी प्रकार से मां की पूजा के बाद क्षमा प्रार्थना जरूर करें।