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डायन बताकर 5 महिलाओं को मार डाला, अब परिवारवालों का सामाजिक बहिष्कार; जानें पूरा मामला

रांची के कंजिया गांव में पांच साल पहले ग्रामीणों ने डायन बताकर पांच महिलाओं की हत्या कर दी थी। अब फिर उन्हीं चार परिवारों का लोगों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 11:20 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:30 AM (IST)
डायन बताकर 5 महिलाओं को मार डाला, अब परिवारवालों का सामाजिक बहिष्कार; जानें पूरा मामला
डायन बताकर 5 महिलाओं को मार डाला, अब परिवारवालों का सामाजिक बहिष्कार; जानें पूरा मामला

रांची, [मुजतबा हैदर रिजवी]। रांची के मांडर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कंजिया गांव में वर्ष 2015 में चार परिवारों की पांच महिलाओं को गांव वालों ने डायन बताते हुए घरवालों के सामने पीट-पीट कर मार डाला था। पांच साल बाद भी इन पीडि़त परिवारों के सदस्यों के जख्म हरे हैैं। रोंगटे खड़े कर देने वाली उस नृशंस घटना को भूलना आसान भी नहीं। अब भी इन लोगों के कानों में मारो.. मारो... की आवाज गूंजती रहती है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि अब भी इन पीडि़त परिवारों पर जुल्म का सिलसिला थमा नहीं है। अब दबंगों ने इन चार परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर नए सिरे से प्रताडि़त करना शुरू कर दिया है। प्रताडऩा का आलम ऐसा है कि पीडि़त परिवार के कई लोग आज भी डर के मारे रात मे अपने घर में नहीं सोते। 

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11 लोगों को सुनाई गई थी आजीवन कारावास की सजा

दिल दहला देने वाले इस जघन्य हत्याकांड में रकिया व बेटी तितरी उराइन, इतवारी उरांव, मदनी उरांव और जसिंता टोप्पो को ग्रामीणों ने घर से खींचकर पीट-पीटकर मार डाला था। महिलाओं की सामूहिक हत्या के मामले में 43 लोगों को आरोपित बनाया गया था। इनमें अदालत ने 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि दो आरोपितों के नाबालिग होने के कारण उन्हें रिमांड होम भेजा गया था। शेष 28 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। 

दो परिवारों ने डर के मारे छोड़ा गांव

पीडि़तों का कहना है कि अदालत से बरी किये गए लोग जब जेल से लौटे तो गांव के दूसरे लोगों के साथ मिलकर पीडि़त चार परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया। अब उनकी तमाम सामाजिक गतिविधियां रोक दी गई हैं। उन्हें शादी-विवाह से लेकर धाॢमक आयोजनों तक में हिस्सा नहीं लेने दिया जा रहा। इनके खेतों में भी कोई काम करने नहीं आता। पीडि़त परिवार डर के साये में जीवन गुजार रहे हैं।

प्रताडऩा से तंग आकर दो परिवारों ने गांव छोड़ दिया है।  मरई टोली के बीचोबीच में इतवारी खलखो का टूटा-फूटा घर है। बहिष्कार से तंग आ कर इतवारी का बेटा मनीष, बेटी मनीषा व अनीशा गांव छोड़ कर दिल्ली चले गए हैं। इतवारी का एक बेटा जोहन खलखो अपनी पत्नी बिरंग उराइन और बच्चों के साथ रहता है। बिरंग उराइन बताती है कि सामाजिक बहिष्कार की वजह से उसके खेतों की बुवाई नहीं हो पा रही है। इसी तरह मदनी के पति सुना उरांव ने गांव के बाहर सड़क किनारे अपना घर बना लिया है। 

अब तक लटका हुआ है जसिंता के घर पर ताला

जसिंता टोप्पो की बेटी अनीमा ने ही हत्या की इस घटना की सूचना पुलिस को दी थी। इस वजह से इस परिवार पर आरोपियों का सबसे ज्यादा गुस्सा है। जसिंता के घर पर अब भी ताला लटका हुआ है। अनीमा बगल के गांव के मिशन हास्पिटल में काम करती है। जसिंता की हत्या के बाद अब उसका पति मतियश बेटी के साथ ही बगल के गांव में ही रहने लगा है। खतरे की वजह से यह परिवार कभी मरई टोली नहीं आता। 

कंजिया गांव में पीडि़त परिवारों के बहिष्कार को लेकर जानकारी नहीं है। मामले की जांच कराएंगे। अगर सामाजिक बहिष्कार हुआ है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नौशाद आलम, ग्रामीण एसपी, रांची।


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