हजारीबाग का एक गांव, जहां नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला
पहली जनवरी को गांव के वयोवृद्ध ललित गोप की मृत्यु हुई। उसके बाद सूरज सिंह के 40 वर्षीय पुत्र अनुपम सिंह की असम में दुर्घटना में मौत हुई। चार दिनों बाद 40 वर्षीय पपलू सिंह की बीमारी के कारण कोलकात्ता में मौत हो गई।
हजारीबाग, जागरण संवाददाता। खंभवा में पहली जनवरी से शुरु हुआ मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गांव में लोग बदस्तूर हो रही मौतों से सहमे हुए हैं। लोग कई प्रकार की चर्चाएं करने में लगे हुए हैं। कोई ईश्वरीय प्रकोप कह रहा तो कोई कोरोना की मार। गांव में अब तक आठ मौतें हो चुकी है, जिसमें दो 40 वर्षीय युवकों की मौत से पूरा गांव मातम में है।
कोरोना काल में गई कई लोगों की जान
पहली जनवरी को गांव के वयोवृद्ध ललित गोप की मृत्यु हुई। उसके बाद सूरज सिंह के 40 वर्षीय पुत्र अनुपम सिंह की असम में दुर्घटना में मौत हुई। चार दिनों बाद 40 वर्षीय पपलू सिंह की बीमारी के कारण कोलकात्ता में मौत हो गई। इसी बीच मतल सिंह की भी मौत अचानक हो गई। रामरतन यादव की मौत भी रांची अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई। जफर मियां की पत्नी की भी मौत बीमारी के कारण हुई। पांच दिन पूर्व डोमन मंडल की मौत और शनिवार को चंद्रदेव सिंह की पत्नी की मौत से लोग सहमे हुए हैं। हालांकि दो-तीन मौतों को छोड़ सभी अस्वस्थ्य थे, फिर भी 29 दिनों के अंदर हुई आठ मौतों के कारणों को लोग तलाशने में जुट गए हैं। कई लोग गांव में शांति के लिए पूजा-अर्चना करवाने की बात भी करते नजर आए।