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विहिप की राष्ट्रपति से मांग, संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर बंगाल में हिंसा रोकने का आदेश दें

Bengal Violence News Jharkhand News विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन.में कहा है कि बंगाल में अनियंत्रित राज्यव्यापी हिंसा पूर्वनियोजित है। बंगाल के न्यायप्रिय नागरिकों को मानो दंगाइयों के हाथों में सौंप दिया गया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 06:50 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 06:58 PM (IST)
विहिप की राष्ट्रपति से मांग, संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर बंगाल में हिंसा रोकने का आदेश दें
Bengal Violence News, Jharkhand News विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार।

रांची, जासं। Bengal Violence News, Jharkhand News पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही हिंदुओं की हो रही हत्याओं पर विश्व हिंदू परिषद ने आक्रोश व्यक्त करते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द से अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करने की मांग की है। मंगलवार को राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में विहिप ने मांग की है कि दंगाइयों की जल्द पहचान कराकर फास्ट ट्रैक कोर्ट से उन्‍हें सजा दिलवाई जाए। साथ ही दंगा पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था कराने के साथ-साथ जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करवाई जाए।

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विहिप के कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा है कि यह सच है कि चुनाव के बाद विजयी होने वाली पार्टी अपने प्रदेश की संपूर्ण जनता के प्रति जिम्मेवार होती है और अपने प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने का उसका दायित्व हो जाता है। दुर्भाग्य से बंगाल में चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से वहां पर सत्तारूढ़ दल टीएमसी के कार्यकर्ताओं व जिहादियों ने जिस प्रकार हिंसा का तांडव चला रखा है, उससे पूरा देश चिंतित है।

ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही धमकियां दी थीं कि केंद्रीय सुरक्षा बल तो केवल चुनाव तक है और चुनावों के बाद तो उन्हें ही सब देखना है। बंगाल में अनियंत्रित राज्यव्यापी हिंसा पूर्वनियोजित है और ऐसा लगता है कि पुलिस व प्रशासन को कह दिया गया है कि वह इसकी अनदेखी करता रहे। बंगाल के न्यायप्रिय नागरिकों को मानो दंगाइयों के हाथों में सौंप दिया गया है। यह सब मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन की याद दिलाता है।

हिंदुओं को पलायन के लिए किया जा रहा मजबूर

ज्ञापन में कहा गया है कि तृणमूल कार्यकर्ताओं और जिहादियों के गठजोड़ से खुलेआम विपक्ष के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है। मालदा में तो दो भाइयों की हत्या कर उनका शव पेड़ से लटका दिया गया। घर जलाए जा रहे हैं, दुकानें लूटी जा रही हैं और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार हो रहा है। इस हिंसा का बड़ा निशाना अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग ही बन रहे हैं। कूचबिहार से सुंदरवन तक भय के वातावरण में वहां की हिंदू आबादी को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है।

इस हिंसा का एक सुनियोजित जिहादी पक्ष है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। भारत का संविधान राज्य सरकारों पर यह जिम्मेवारी सौंपता है कि वह अपने राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखे और अपने राज्य के सब लोगों को कानून का योग्य संरक्षण दे। बंगाल की सरकार इसमें विफल हो रही है। यह सब भारतीय संस्कृति और संविधान के सह-अस्तित्व के मूल्यों और कानून के शासन का उल्‍लंघन है।

ममता बनर्जी के पिछले शासनकाल में भी हिंदू त्रस्त था

ममता बनर्जी के पिछले दो शासनकाल में भी वहां का हिंदू समाज त्रस्त रहा है, परंतु इस बार शासन काल का प्रारंभ जिस ढंग से हुआ है, उससे पूरा देश यह समझ रहा है कि अगर इसी समय बंगाल के प्रशासन को नियंत्रित नहीं किया गया तो आगामी 5 साल में क्या होगा? हो सकता है क‍ि कुछ स्थानों पर हिंदू समाज आत्मरक्षा के लिए स्वयं कुछ उपाय करने पर मजबूर हो जाए। दोनों ही स्थितियां पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं। इसलिए समय रहते नियंत्रण जरूरी है।


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