डीजीपी पद के लिए झारखंड सरकार का पैनल मानने से यूपीएससी ने किया इन्कार
राज्य सरकार को पत्र लिखकर यूपीएससी ने जताई नाराजगी
राज्य ब्यूरो, रांची : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक पद के लिए राज्य सरकार के भेजे गए पैनल को मानने से इन्कार कर दिया है। आयोग ने साफ कहा है कि इस संबंध में सरकार सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन का पालन करे। आयोग ने स्पष्ट किया है कि डीजीपी के पद पर दो साल के लिए सक्षम अधिकारी की स्थायी तौर पर प्रतिनियुक्ति का प्रावधान है। इस पद को प्रभार में नहीं रखा जा सकता। आयोग ने कहा है कि झारखंड में पिछले वर्ष ही पैनल हुआ था, जिसके आधार पर कमल नयन चौबे को दो साल के लिए डीजीपी बनाया गया था। आयोग ने सरकार से सवाल भी पूछा है कि चौबे पर किसी तरह का कोई गंभीर अपराध का आरोप नहीं होते हुए भी उन्हें नौ महीने के भीतर क्यों हटा दिया गया? यह नियम विरुद्ध भी है। इसके बावजूद ताजा पैनल के लिए आग्रह आया है, जिसे यूपीएससी किसी भी शर्त पर स्वीकार नहीं कर सकता है।
------------------- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में आज होगी सुनवाई
झारखंड में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई होगी। याचिका में यह आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन कर दो साल के लिए डीजीपी के पद पर बहाल कमल नयन चौबे को महज नौ महीने के भीतर पद से हटा दिया गया। प्रभारी डीजीपी का पद नहीं होने के बावजूद एमवी राव को झारखंड का प्रभारी डीजीपी बनाया गया। इसके झारखंड सरकार, यूपीएससी व प्रभारी डीजीपी एमवी राव को पार्टी बनाया गया है। कुछ दिन पूर्व ही प्रभारी डीजीपी एमवी राव दिल्ली गए थे और अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा।