19 साल से चल रही दो भाइयों में लड़ाई, झारखंड का झगड़ा-बिहार का रगड़ा; आप भी जानिए
19 साल बाद भी बिहार-झारखंड के बीच अपने कर्मियों को लेकर पेंशन विवाद नहीं सुलझा है। दोनो सरकारें एक दूसरे पर करोड़ों रुपये बकाया होने का दावा केंद्र के फोरम पर करते हैं।
रांची, [दिलीप कुमार]। झारखंड अलग राज्य बने हुए 19 साल हो गए, लेकिन अब तक बिहार-झारखंड के बीच कर्मियों का पेंशन विवाद नहीं सुलझ सका है। यह विवाद एक बार फिर एक मंच पर रखने की योजना है। आगामी 31 जनवरी को भुवनेश्वर में होने वाले पूर्वी जोन काउंसिल की बैठक में इस समस्या के समाधान की कोशिश होगी। इस बैठक में बिहार, ओडिशा, झारखंड व पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व अन्य अधिकारी शामिल होंगे।
अलग राज्य गठन के बाद से ही पेंशन विवाद को सुलझाने की कोशिश होती रही है, लेकिन अब तक यह अनसुलझी है। 15 नवंबर 2000 के बाद दोनों राज्य कर्मियों की संख्या का पता लगाने में अब तक सफल नहीं हुए हैं। यह तय हुआ है कि अगर बिहार 15 नवंबर 2000 तक के कर्मचारियों (तब संयुक्त बिहार) की संख्या का प्रमाणित डाटा देगा तो झारखंड सरकार उसके अनुसार आगे कदम उठा सकती है।
दोनों राज्यों के महालेखाकार के दावे अलग-अलग
महालेखाकार बिहार की गणना के अनुसार झारखंड सरकार से बिहार सरकार को 310.52 करोड़ का भुगतान किया जाना है जबकि झारखंड के महालेखाकार की रिपोर्ट इसे केवल 95.47 करोड़ रुपये बताती है। झारखंड के महालेखाकार की रिपोर्ट की मानें तो बैंकों से जो रिपोर्ट मिली है, उसमें वित्तीय वर्ष 2016-17 में झारखंड से दी जाने वाली पेंशन राशि 15 नवंबर 2000 से पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों से अधिक थी। इसलिए बिहार को किया गया अतिरिक्त भुगतान वापस करना चाहिए।