तोड़े जाएंगे बड़े अहाता वाले भवन, ईस्ट जेल रोड के पास दो आवासों को हटाकर बनेगा ओपन स्पेस
रांची में मुख्य सचिव ने भवन निर्माण विभाग की योजनाओं की समीक्षा के दौरान कहा कि अब सरकारी खर्च पर आवासों के निर्माण पर रोक लगाई जाएगी।
रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने बड़े अहाते वाले सरकारी आवासों की परिपाटी को हतोत्साहित करने पर बल दिया है। इस कड़ी में उन्होंने राजधानी समेत जिला मुख्यालयों में अलग-अलग जगहों पर संचालित कार्यालय भवनों को तोड़कर उसे एक जगह करने का निर्देश दिया है। भवनों को तोडऩे अथवा हटाने के बाद रिक्त बचे स्थानों का उपयोग उन्होंने ओपन स्पेस, ग्रीन स्पेस अथवा पार्किंग स्थल के तौर पर करने की सलाह दी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने इसकी शुरुआत राजधानी रांची के ईस्ट जेल रोड मोड़ के पास अवस्थित दो सरकारी आवासों से करने को कहा है। उन्होंने इन बातों को केंद्र में रखकर भवन निर्माण विभाग को भवन निर्माण की एक स्पष्ट नीति तैयार करने को कहा है।
मुख्य सचिव ने तैयार की जाने वाली भवन निर्माण की नई नीति में अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए पंचायत से लेकर राजधानी स्तर तक पर आवासों के निर्माण के बजाय आकर्षक आवास किराया भत्ता देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी आवास तो बन जाते हैं, लेकिन कई मामलों में लोग उसमें रहने से कतराते हैं, लिहाजा आवास खाली रह जाता है। फिर उसके रख-रखाव में दिक्कत तो होती ही है, उसके अतिक्रमण की समस्या भी उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि अगर विशेष परिस्थिति में निर्माण की आवश्यकता महसूस भी होती है, तो इसे पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन) मोड में लाया जाना चाहिए।
मुख्य सचिव ने मौजूदा परिदृश्य में भवन निर्माण निगम को अपग्रेड करते हुए वहां इस्टेट अफसर को तैनात करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस्टेट अफसर पर निगम के अधीन के सभी भवनों के लेखाजोखा रखने की जवाबदेही होगी। उन्होंने भवनों की अद्यतन स्थिति को ऑनलाइन करने का भी निर्देश दिया। समय पर योजना पूरा नहीं करने वाले संवेदकों को चिह्नित करने से लेकर सजा तक के प्रावधान की जवाबदेही भी उसे सौंपने को कहा। किस भवन को कब और किसे हैंड ओवर किया जाना है अथवा किया गया है, उसका भी ऑनलाइन डाटा बेस तैयार रखने का निर्देश दिया।
बनाएं इंजीनियर्स एकेडमी, सेवानिवृत्त अभियंताओं की लें सेवा
मुख्य सचिव ने कहा कि अभियंताओं की कमी से विकास प्रभावित न हो, इसके लिए इंजीनियर्स एकेडमी गठित की जाए। साथ ही, बाहर के कंसलटेंट इंजीनियरों की जगह सेवानिवृत्त इंजीनियरों की सेवा लेने पर बल दिया।
इसी कड़ी में उन्होंने निगरानी तंत्र को और मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने अफसरों को एक बार फिर आगाह किया कि किसी भी हाल में भवनों की पक्की चारदीवारी न बनाई जाए। उसकी जगह अन्य विकल्पों पर फोकस किया जाए।