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लोहरदगा में हत्या और दुष्कर्म के मामले में दो को आजीवन कारावास, जुर्माना भी लगाया

Lohardaga Crime Samachar Jharkhand News आजीवन कारावास की प्रकृति जीवन काल है और जुर्माना भी सुनाया गया है। एडीजे वन की अदालत ने फैसला सुनाया है। दोनों आरोपित फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। घटना विगत छह मई 2020 की है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 16 Aug 2021 05:41 PM (IST)Updated: Mon, 16 Aug 2021 06:07 PM (IST)
लोहरदगा में हत्या और दुष्कर्म के मामले में दो को आजीवन कारावास, जुर्माना भी लगाया
Lohardaga Crime Samachar, Jharkhand News आजीवन कारावास की प्रकृति जीवन काल है और जुर्माना भी सुनाया गया है।

लोहरदगा, जासं। लोहरदगा जिले के एडीजे वन गोपाल पांडेय की अदालत ने हत्या और दुष्कर्म के मामले में दो आरोपितों को आजीवन कारावास और जुर्माना की सजा सुनाई है। मामले के दोनों आरोपित फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इस घटना में अपराधियों ने भंडरा थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी, जबकि उसकी पुत्री के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था। मामले में आजीवन कारावास की प्रकृति जीवन काल है। बताया जाता है कि पोक्सो केस संख्या 19/2020, भंडरा थाना कांड संख्या 27/2020 में हत्या और दुष्कर्म की घटना को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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इस मामले में भंडरा थाना क्षेत्र के पोड़हा फाटू टोली निवासी स्वर्गीय लागों उरांव के पुत्र भूषण उरांव और गुमला जिले के सिसई थाना क्षेत्र के नगर गांव निवासी मोहन गोप के पुत्र अनिल गोप उर्फ मुर्गा को भादवि की धारा 376 डीए में आजीवन कारावास (प्रकृति जीवन काल) एवं 50 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 302 में भी आजीवन कारावास (प्रकृति जीवन काल) एवं 50 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 458 में दस साल एवं दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 364 में दस साल एवं दस हजार रुपये जुर्माना, धारा 201 में तीन साल एवं पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है।

दोनों आरोपित फिलहाल मंडल कारा लोहरदगा में हैं। यह घटना विगत छह मई 2020 की है। आरोपित को पोक्सो अधिनियम की धारा चार के आरोप में भी दोषी पाया गया है, लेकिन उनके विरुद्ध भादसं की धारा 376डीए के अंतर्गत दंडादेश पारित किया गया है, जो गुरुतर है। इसलिए पोक्सो अधिनियम की धारा 42 के आलोक में अलग से दंडादेश पारित नहीं किया जाता है। अर्थदंड की राशि का भुगतान नहीं करने पर दोष सिद्ध अभियुक्त को एक वर्ष का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। दोषसिद्ध अभियुक्त द्वारा जांच, अनुसंधान और विचारण के क्रम में बिताई गई कारावधि को पारित दंडादेश से समायोजित किया जाएगा। अर्थदंड की आधी राशि सूचिका की बेटी, पीड़िता को प्रदान की जाएगी।


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