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आदिवासी किसान होंगे समृद्ध, बीएयू ने शुरू प्रशिक्षण देने का काम

BAU बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा समेकित कृषि प्रणाली के विभिन्न आयामों के उपयुक्त उन्नत तकनीकी मॉडल से आदिवासी किसानों की आजीविका सुरक्षा एवं आय में बढ़ोतरी के लिए तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण चल रहा है।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 05:42 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 05:42 PM (IST)
आदिवासी किसान होंगे समृद्ध, बीएयू ने शुरू प्रशिक्षण देने का काम
आदिवासी किसानों की आजीविका सुरक्षा एवं आय में बढ़ोतरी के लिए प्रशिक्षण चल रहा है।

रांची,जासं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा समेकित कृषि प्रणाली के विभिन्न आयामों के उपयुक्त उन्नत तकनीकी मॉडल से आदिवासी किसानों की आजीविका सुरक्षा एवं आय में बढ़ोतरी के लिए तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण चल रहा है। कार्यक्रम में विवि द्वारा अंगीकृत बिरसा भगवान की जन्मस्थली उलीहातू गांव के करीब 30 आदिवासी किसान भाग ले रहे हैं।

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कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि डीन एग्रीकल्चर डा एमएस यादव ने कहा कि प्रदेश के 80 प्रतिशत से भी अधिक किसान छोटे एवं सीमांत श्रेणी के हैं। जो किसानों की कम आय होने की मुख्य वजह है।  उन्होंने कहा कि विवि विज्ञानी द्वारा इन किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए समेकित कृषि प्रणाली के अनेकों मॉडल को विकसित किया गया है। यह तकनीक किसानों के आय बढ़ोतरी में काफी उपयोगी साबित हो रही है।  किसानों को अब इस तरह का प्रशिक्षण लगातार दिया जाता रहेगा।

आदिवासी किसानों ने पशुपालन तकनीकों को देखा

किसानों ने गुरुवार को पशु चिकित्सा संकाय स्थित कुक्कुट, सुकर एवं गव्य फार्म का परिभ्रमण किया। किसानों को कुक्कुट (मुर्गी) फार्म में डा पवन कुमार ने मुर्गी के झारसीम, रेड दिव्यायान, कड़कनाथ सहित विभिन्न नस्लों की पहचान एवं विशेषता, आवास व आहार प्रबंधन की व्यावहारिक तकनीकों से अवगत कराया। इस फार्म के हेचरी यूनिट में मुर्गी के चूजे का निष्कासन तथा टीकाकरण की आवश्यकता की जानकारी दी।

गव्य फार्म में डा पंकज कुमार ने किसानों को गिर, साहीवाल, थारपारकर, फ्रोजन आदि गौ नस्लों की विशेषताओं एवं उन्नत तकनीकी प्रबंधन से प्रत्यक्ष रूबरू कराया। उन्नत गौ नस्लों को देख किसानों में उत्साह देखा गया। सुकर फार्म में डा रविंद्र कुमार ने झारसुक, पूर्णिया सहित सूकर की विभिन्न प्रजातियों का आवास एवं आहार प्रबंधन, रेल यार्ड एवं क्रिप्स बॉक्स के फायदे, नवजात छौनो का एनीमिया से बचाव एवं टीकाकरण का सही समय एवं लाभ से अवगत कराया। परिभ्रमण कार्यक्रम का नेतृत्व एवं संचालन डा पंकज सेठ एवं डा बंधनु उरांव ने किया।

प्रशिक्षण के तकनीकी सत्र में डॉ रास बिहारी साह ने बांस की उन्नत खेती एवं मूल्यवर्द्धन, डा एचसी लाल ने मशरूम उत्पादन की उन्नत प्रौद्योगिकी एवं मूल्यवर्द्धन तथा स्मिता श्वेता ने समन्वित मछली पालन से सबंधित तकनीक के बारे में किसानों को जानकारी दी।


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