550वे प्रकाश पर्व पर कर्नाटक से चलकर रांची पहुंची थी यात्रा
गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर कर्नाटक से चलकर रांची पहुंची जागृति रथयात्रा का नगर भ्रमण कराया गया। इसके बाद यह यात्रा जमशेदपुर के लिए रवाना हो गया।
जागरण संवाददाता, रांची : गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर कर्नाटक से चलकर रांची पहुंचा जागृति रथ का सोमवार को नगर भ्रमण कराया गया। सुबह आठ बजे गुरु ग्रंथ साहिब से सुसज्जित सवारी पीपी कंपाउंड स्थित गुरुनानक स्कूल से निकली। रथ पर सवार पंज प्यारे के साथ सैकड़ों भक्त इसकी अगुवाई कर रहे थे। पूरे रास्ते भजन मंडली शबद गायन करते साथ चल रहे थे। इस दौरान जिधर से भी यात्रा गुजरी अरदास-कीर्तन से माहौल भक्तिमय बन गया। जगह-जगह यात्रा का स्वागत किया गया। इसमें महिलाएं भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ली। मेनरोड गुरुद्वारा में विशेष दीवान सजाया गया। गुरुवाणी का गायन किया गया। इसके बाद हुजूरी रागी भाई भरपूर सिंह ने सभ बडा सतिगुरु जि जि कल राखी मेरी.., सतिगुरु नानक प्रगटियो मिटी धुंध जग.. आदि शबद कीर्तन से साध संगत को निहाल किया।
गुरुग्रंथ साहिब की वाणी को आत्मसात करें
हुजूरी साहिब से पधारे मुख्य ग्रंथी ज्ञानी अवतार सिंह ने गुरु नानक देव द्वारा बताये आदर्शो का विस्तार से बखान किया। उन्होंने साध संगत से आग्रह किया कि गुरुजी द्वारा बताये मार्ग पर चलकर गुरु ग्रंथ साहिब की गुरुवाणी को आत्मसात करें। दीवान की समाप्ति के उपरांत जागृति यात्रा हटिया गुरुद्वारा पहुंचा। गुरु ग्रंथ साहिब की अर्चना के बाद वहां से दोपहर में यात्रा जमशेदपुर के लिए प्रस्थान किया।
गुरुद्वारा कमेटी ने मंत्री सीपी सिंह को किया सम्मानित
गुरुद्वारा श्री गुरुसिंघ सभा की ओर से यात्रा समन्वयक शैलेंद्र सिंह, गुरविंदर सिंह सेठी और मंत्री सीपी सिंह को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन गगनदीप सिंह सेठी ने किया। अध्यक्ष गुरमीत सिंह ने जागृति यात्रा के स्वागत की जिम्मेदारी संभाली। आयोजन की व्यवस्था में गुरमीत सिंह, मोहिदर सिंह, गुरजीत सिंह छतवाल, डॉ हरिमंदर वीर सिंह, ज्योति सिंह, सुरजीत सिंह, भूपेंद्र सिंह, जसप्रीत सिंह, हरजीत सिंह, राजेंद्र सिंह, हरमीत सिंह, रूलदा सिंह, मनीष मिढ़ा, नरेंद्र पाल सिंह, प्रदीप सिंह आदि शामिल थे।
पंज प्यारे की इन्होंने की अगुवाई
जागृति यात्रा के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब की अगुवाई में पंज प्यारों में हरजीत सिंह स्विकीं, सतपाल सिंह, रावेल सिंह, तेजिंदर सिंह, अमृतपाल सिंह शामिल थे। दीवान की समाप्ति के बाद हेडग्रंथी ज्ञानी विक्रमजीत सिंह ने अरदास की।