Jharkhand News: अपने उद्देश्य से भटका, श्री बंशीधर नगर में बना ट्रामा सेंटर
घटना-दुर्घटना में घायल लोगों की जान बचाने के उद्देश्य से श्री बंशीधर नगर में बना ट्रॉमा सेंटर सरकार की उदासीनता के कारण अपने उद्देश्य से भटक गया है। जबकि इसके निर्माण एवं आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराने में करोड़ो रुपये खर्च हो गये हैं।
संवाद सूत्र (गढ़वा) घटना-दुर्घटना में घायल लोगों की जान बचाने के उद्देश्य से श्री बंशीधर नगर में बना ट्रॉमा सेंटर सरकार की उदासीनता के कारण अपने उद्देश्य से भटक गया है। जबकि इसके निर्माण एवं आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराने में करोड़ो रुपये खर्च हो गये हैं। ट्रॉमा सेंटर के उद्दघाटन के बाद से अब तक इसका उपयोग ट्रॉमा सेंटर के रूप में न होकर कभी अनुमंडलीय अस्पताल, टीकाकरण केंद्र, कर्मियों के आवास, गोदाम तो कभी कोविड सेंटर के रूप में ही हुआ है। जबकि ट्रॉमा सेंटर निर्माण का मूल उद्देश्य घटना दुर्घटना में घायल गंभीर लोगों को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना था। ताकि गंभीर रूप से घायल लोगों को बेहतर उपचार के लिए रांची या वाराणसी न जाना पड़े।
वैसे भी घटना-दुर्घटना में घायल गंभीर लोगों के लिए घंटा दो घंटे का समय काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि इस अवधि में घायल को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो जाती है तो उसके बचने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है। ट्रॉमा सेंटर के निर्माण से इस क्षेत्र के लोगों को एक उम्मीद जगी थी की अब बेहतर चिकित्सा सुविधा के अभाव में लोगों की जान नहीं जाएगी लेकिन ट्रामा सेंटर के उद्दघाटन के 13 वर्ष बाद भी इसे चालू नहीं होने पर लोगों के उम्मीद पर पानी फिर गया।
हैंडओवर होने के 9 वर्ष बाद भी चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मियों का नहीं हो सका पदस्थापनाः ट्रामा सेंटर के भवन का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा द्वारा 2008 में किया गया था। जबकि स्वास्थ्य विभाग को यह भवन 2012 में हैंडोवर किया गया। भवन हैंगओवर होने के बाद ट्रॉमा सेंटर के लिए चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मियों का पद सृजित किया गया एवं ट्रामा सेंटर के संचालन हेतु सभी आवश्यक संसाधनों को भी उपलब्ध कराया गया। लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण इन 9 वर्षों में सृजित पदों के अनुसार चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मियों का पदस्थापन नहीं हो सका।
ट्रामा सेंटर में चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मियों के कुल 23 पद सृजित किए गए हैं। जिसमें से मात्र 2 पदों पर ही पदस्थापना हो पाया है। सेस 21 पदों पर आज तक पदस्थापन में नहीं हो सका। ट्रामा सेंटर में एक जनरल सर्जन, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ, एक निश्चेतक, दो चिकित्सा पदाधिकारी, दो ओटी असिस्टेंट, 6 नर्स ए ग्रेड, एक फरमासिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन, एक रेडियोग्राफर, एक निम्न वर्गीय लिपिक, एक उच्च वर्गीय लिपिक एवं 5 नर्सिंग ऑर्डरली का पद सृजित किया गया था। लेकिन इन 9 वर्षो में कुछ दिनों के लिए दो चिकित्सा पदाधिकारी की पोस्टिंग हुई थी जिनका ट्रांसफर हो गया। वर्तमान समय में ट्रॉमा सेंटर में केवल एक निम्नवर्गीय लिपिक एवं एक फार्मासिस्ट की ही प्रतिनियुक्ति है।
हमेशा दूसरे उपयोग में रहा है ट्रॉमा सेंटरः स्वास्थ्य विभाग को हैंड ओभर होने के बाद से ट्रामा सेंटर अपने वास्तविक कार्य के बजाय हमेशा दूसरे उपयोग में ही कार्य करते आ रहा है। शुरुआती दौर में ट्रामा सेंटर का उपयोग स्टोररूम के तौर पर किया जाता था। अनुमंडलीय अस्पताल के जर्जर भवन को देखते हुए अप्रैल 2017 में अनुमंडलीय अस्पताल को ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया था। भवन मरम्मती के बाद अप्रैल 2019 में पुनः अनुमंडलीय अस्पताल अपने पुराने भवन में चलने लगा। उसके बाद पुनः इसका उपयोग चिकित्सा कर्मियों के आवास एवं स्टोर के रूप में होने लगा।