छूट के दावे बड़े, उद्योग जस के तस; झारखंड में नहीं खुल सकीं ट्रांसपोर्ट कंपनियां
Jharkhand. जमेशदपुर में टाटा मोटर्स के बंद रहने से आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के 1397 उद्योग भी बंद हैं। पड़ोसी राज्यों में पंद्रह दिनों से परिवहन से संबंधित उद्योग चल रहे हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य में एक तिहाई कर्मचारियों के साथ काम करने की छूट उद्योगों को दी गई लेकिन इसका फायदा होता नहीं दिखा। जिन उद्योगों में आसपास कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है वहां तो मान लीजिए कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन परिवहन उद्योग जहां धीरे-धीरे पड़ोसी राज्यों में सरकारी खजाने को मजबूत कर रहा है वहीं झारखंड में इसकी सुस्ती से करोड़ों का नुकसान हो रहा है। आर्थिक गतिविधियां बंद होने से सरकारी खाते में राशि नहीं पहुंच पा रही है।
इतना ही नहीं, औद्योगिक क्षेत्र अधिसूचित नहीं होने के कारण टाटा मोटर्स जैसी बड़ी कंपनी संचालित नहीं हो सकी और इस कारण आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया के 1397 उद्योग जस के तस पड़े हुए हैं। चौथे लॉकडाउन में मिली छूट का लाभ ईंट भट्ठों से लेकर निर्माण उद्योग से जुड़े लोगों को तो हुआ लेकिन बड़ा राजस्व देनेवाले परिवहन उद्योग, स्टील और लौह अयस्कों से जुड़े उद्योग और कोयले से संबंधित उद्योग सुस्त चाल से बढ़ रहे हैं या फिर बढ़ नहीं पा रहे हैं।
एक कार की बिक्री पर 2-3 लाख रुपये मिलते सरकार को
कारों की बिक्री से प्राप्त टैक्स से राज्य वंचित है। पोद्दार मोटर्स के पुनीत पोद्दार की मानें तो एक-एक कार की बिक्री 2-3 लाख रुपये तक सरकार के खाते में पहुंचते हैं। इसकी अनदेखी से करोड़ों का नुकसान हो रहा है। झारखंड में कारों के 80 शोरूम हैं और दोपहिया वाहनों के लगभग 250 शोरूम। इनके माध्यम से हर महीने औसतन 7 सौ कारें बिकती हैं और तीन हजार से अधिक दोपहिया वाहनों की बिक्री होती है। बिहार, पश्चिम बंगाल समेत दूसरे राज्यों में शोरूम खुले होने से वहां की सरकारों को लाभ हो रहा है।
छोटे उद्योगों के लिए 30 फीसद कर्मियों का फॉर्मूला सफल नहीं
30 फीसद कर्मियों के साथ बड़ी कंपनियां उत्पादन घटाकर अपना संचालन तो कर रही हैं लेकिन छोटी कंपनियों के सामने बड़ी मुसीबत है। आम तौर पर छोटी कंपनियों में उतने ही कर्मी होते हैं जितने की जरूरत है। ऐसे में एक तिहाई कर्मियों के सहारे उद्योग नहीं चल सकेंगे।
शुरू नहीं हुआ उत्पादन
एक तिहाई कर्मचारियों के साथ काम करने की अनुमति लेकिन कई उद्योगों में इतने लोग भी नहीं जुट पा रहे। खासकर छोटे उद्योगों में अभी तक नहीं शुरू हो सका है उत्पादन। कई उद्योग तो न्यूनतम कर्मियों की संख्या के आधार पर ही काम कर रहे हैं। ऐसे में एक तिहाई कर्मी बुलाने से कोई न कोई हिस्सा खाली रह जाता है।