दुर्घटनाओं में आएगी कमी, बदले जा रहे हैं डायमंड क्रासिग
मुरी में 70 वर्ष पुरानी डायमंड क्रासिग को बदला जा रहा है। इससे द ुर्घटनाओं में कमी आने की उम्म्ीद है।
जागरण संवाददाता रांची: मुरी में 70 वर्ष पुरानी डायमंड क्रासिग को बदला जा रहा है। इस पुरानी क्रासिग के चलते अभी तक इस लाइन पर ट्रेन मात्र 20-30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के कॉशन आर्डर पर निकलती थी, मगर नई क्रॉसिग डालने के बाद अब ट्रेन को तेज रफ्तार से भी निकाला जा सकेगा। यार्ड रिमॉडलिग प्रोजेक्ट के तहत यह कार्य कराया जा रहा है। जिसे नार्मल क्रासिग में तब्दील किया जा रहा है। साथ दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। क्योंकि व्यवस्था पुरानी होने के कारण अब डायमंड क्रासिग से संबंधित मैटीरियल नहीं मिल पाता है। जिसके कारण रेलवे को परेशानी होती है। अब मैटीरियल आसानी से मिल सकेगा।
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200 मजदूर लगाए गए हैं डायमंड क्रासिग को बदलने में : वहीं मुरी में 200 मजदूर लगाए गए हैं, ताकि 2 नवंबर तक कार्य को पूरा किया जा सके। मुरी में पांच डायमंड क्रासिग पर काम लगाया गया है। जबकि मुरी में इसकी संख्या सात है। वहीं हटिया में भी दो डायमंड क्रासिग है। शेष पर भी काम लगाया जाएगा।
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एसईआर में रांची रेल मंडल होगा पहला मंडल
दक्षिण पूर्व रेलवे में कई डायमंड क्रासिग है लेकिन बदलने की शुरुआत रांची रेल मंडल से शुरू किया जा रहा है। वर्तमान में जो डायमंड क्रॉसिग है उस पर अधिकतम सीमा 25 टन से अधिक ट्रेनों का परिचालन नहीं किया जा सकता ह,ै लेकिन वर्तमान क्रासिग पर 50 वैगन को बढ़ाया जा सकेगा। क्षमता से अधिक ट्रेन होने से डायमंड क्रांसिग खराब हो जाता था। मगर मैटीरियल समय पर नहीं मिलने से परेशानी होती थी।
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क्या है डायमंड क्रासिग
दरअसल अप और डाऊन ट्रैक की दोनों पटरियां किसी एक स्थान पर दो अन्य अप और डाऊन ट्रैक को क्रास करती हैं, वहां प्लस का निशान बन जाता है, जिसे रेलवे की परिभाषा में डायमंड क्रासिग कहा जाता है। यहां से ट्रेनों को निकलने में थोड़ी परेशानी जरूर होती है, लेकिन ये काम भी करता है। हालांकि रेलवे अब इन्हें खत्म करता जा रहा है, ताकि ट्रेनों को काशन पर न निकालना पड़े। इसी क्रम में पुरानी डायमंड क्रासिग को हटाया जा रहा है।