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बहुरेंगे दिन : गार्डसाहब के बक्‍सा वाले दिन लदे, टैब से होगा ट्रेनों का परिचालन

अब रेल परिचालन के लिए गार्ड को बक्से में पड़ी मोटी किताब की जरूरत नही। अब रेलवे गार्ड को टैबलेट उपलब्ध कराया जा रहा है। टैबलेट रहने से गार्ड सारी नियमावली देख सकेंगे। इससे उन्हें सुविधा होगी।

By Edited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 06:24 AM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 06:28 AM (IST)
बहुरेंगे दिन : गार्डसाहब के बक्‍सा वाले दिन लदे, टैब से होगा ट्रेनों का परिचालन
बहुरेंगे दिन : गार्डसाहब के बक्‍सा वाले दिन लदे, टैब से होगा ट्रेनों का परिचालन

रांची, शक्ति सिंह। अब रेल परिचालन के लिए गार्ड को बक्से में पड़ी मोटी किताब की जरूरत नहीं पड़ेगी। टैबलेट से ही ट्रेन के परिचालन से जुड़ा सारा काम हो जाएगा। भारी बक्से को ढोने के लिए कुली की भी जरूरत नहीं होगी। बस जेब में टैब डाले और चल पड़े।

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रेलवे नियमावली आदि से जुड़े एप-प्रोग्रामिंग से युक्त टैबलेट दे रहा है। इससे गार्ड की परेशानी कम होगी। फिलहाल गुजरात के बड़ोदरा सहित कई अन्य मंडलों में इसकी सेवा शुरू हो चुकी है। रांची रेल मंडल को इसका इंतजार है। रांची के रेल अधिकारियों के अनुसार अनुमति मिलते ही इसे यहां भी लागू कर दिया जाएगा।

मोटी किताबों से भरा बक्सा : अभी ड्यूटी के दौरान गार्ड को अपने साथ लोहे का बक्सा लेकर चलना पड़ता है। बक्से में नियमावली की मोटी किताबों के साथ ही झडी व अन्य सामान होते हैं। इसे इंजन व गार्ड के पास पहुंचाने के लिए कुली की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसमें देरी होने से ट्रेन परिचालन भी बाधित होता है।

गार्ड ट्रेन परिचालन की पूरी रिपोर्ट तैयार करता है, इसमें अपनी एक रिपोर्ट का हिस्सा रेलवे ड्राइवर को भी देता है।साथ ही ट्रेन के विलंब होने के कारण की भी एक रिपोर्ट दी जाती है। गार्ड की रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है। इसलिए उनके कार्य को और सरल और सुविधाजनक करने के लिए टैबलेट की सुविधा दी जा रही है।

यदि ट्रेन आने से पहले ही इसे प्लेटफॉर्म पर रख दिया जाता है तो इससे यात्रियों को परेशानी होती है।टैबलेट मिलने से न तो बक्सों को ढोने की जरूरत पड़ेगी न ही इतनी संख्या में किताबों की छपाई से भी राहत मिलेगी। बुकिंग लॉबी में लॉकर की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

सुविधाजनक कार्य : गार्ड के कार्य को सुविधाजनक और सरल बनाने के लिए उन्हें टैब उपलब्ध कराया गया है। आज सभी गार्ड टैबलेट की मदद से अपने कार्यो का निष्पादन करते हैं। अब उन्हें बड़े बक्शे की जरूरत नहीं पड़ती है।' देवेंद्र कुमार डीआरएम, बड़ोदरा, गुजरात

हम भी लागू करेंगे : इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। यहां की व्यवस्था फिलहाल रजिस्टर में दर्ज होती है। भविष्य में अगर ऐसा कुछ होने की संभावना होगी, तो उसे लागू किया जा सकता है। ' नीरज कुमार, सीपीआरओ, रांची रेल मंडल


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