दो इंजन का दम, पुश-पुल तकनीक से बंडामुंडा सेक्शन पर दौड़ी मालगाड़ी
रांची रेलवे नई पद्धति से अब ट्रेन का परिचालन करने की तैयारी में है। यह तकनीक पुश एंड पुल तकनीक पर आधारित है।
शक्ति सिंह, रांची : रेलवे नई पद्धति से अब ट्रेन का परिचालन करने की तैयारी में है। यह तकनीक है पुश व पुल। यानी लोकोमोटिव इंजन बोगियों के आगे और पीछे दोनों तरफ से लगाकर ट्रेन का परिचालन। इससे ट्रेन की गति तो बढ़ती ही है साथ ही यह तकनीक पहाड़ी इलाकों में बहुत उपयोगी है। इस तकनीक से ट्रेन आसानी से पहाड़ी पर चढ़ सकेगी। इसके लिए उन्हें अतिरिक्त इंजन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस दिशा में दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर डिविजन के बंडामुंडा सेक्शन पर मालगाड़ी की दोनों दिशा में इंजन लगाकर ट्रेन का परिचालन किया गया है। सेक्शन में चढ़ाई होने के बाद भी किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई और बड़े ही आराम से ट्रेन चढ़ाई पर चढ़ सका।
क्या है पुश-पुल तकनीक : पुश-पुल तकनीक रेलवे की सबसे नई तकनीक है। इस तकनीक में ट्रेन के आगे और पीछे इंजन जुड़ा रहता है। हालांकि ये एक होकर ही काम करते हैं जिससे ट्रेन को तेज गति मिलती है। दक्षिण पूर्व रेलवे ने इसका सफलतापूर्वक ट्रायल किया है। रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, फ्रंट इंजन मास्टर इंजन होता है और पीछे का इंजन आगे के मुकाबले कम शक्ति से खींचता है। हालांकि दोनों एक होकर ही काम करते हैं। इसके पूर्व एक अन्य मंडल में पुश-पुल तकनीक से ट्रेन दौड़ाई गई थी।
बरसात में भी नहीं होगी परेशानी : बरसात के समय ट्रैक पर बारिश की बूंदें रहने पर चढ़ाई के वक्त ट्रेन का व्हील स्लिप करता है। ऐसे में ट्रैक और ट्रेन के व्हील को नुकसान पहुंचता है। या फिर चढ़ाई पर चढ़ने में सक्षम नहीं होने के कारण ट्रेन खड़ी हो जाती है। ऐसे में सेक्शन ब्लॉक हो जाता है। ट्रैफिक जाम होने की स्थिति में कई ट्रेनों का विलंब से परिचालन होता है। बैंकर के आने के बाद ही ट्रेन को आगे खींचा जाता है। या फिर से ट्रेन को पीछे ले जाकर ट्रेन को चढ़ाया जाता है। कहां है बंडामुंडा सेक्शन
बंडामुंडा सेक्शन दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर डिविजन में पड़ता है। उत्तर दिशा में यह रांची और हटिया को जोड़ता है। जबकि पूर्व दिशा में चक्रधरपुर को जोड़ता है।
बंडामुंडा सेक्शन में पुश व पुल तकनीक से मालगाड़ी का ट्रायल के तौर पर परिचालन किया गया है। यह पूरी तरह सफलतापूर्वक किया गया है।
नीरज कुमार, सीपीआरओ, रांची रेल मंडल