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खूबसूरती बिखेर रहे पर्यटन स्थल, लॉकडाउन ने बंद किए रास्ते

अपनी खूबसूरती से दूर-दराज के पर्यटकों को आकर्षित करने वाले डैम व पर्यटन स्थल लॉकडाउन में लॉक हो गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 01:21 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 06:21 AM (IST)
खूबसूरती बिखेर रहे पर्यटन स्थल, लॉकडाउन ने बंद किए रास्ते
खूबसूरती बिखेर रहे पर्यटन स्थल, लॉकडाउन ने बंद किए रास्ते

जागरण संवाददाता, रांची : अपनी खूबसूरती से दूर-दराज के पर्यटकों को आकर्षित करने वाले डैम व पर्यटन स्थल इन दिनों खूबसूरती बिखेर रहे हैं लेकिन निहारने के लिए पर्यटकों का टोटा है। कोरोना को लेकर चल रहे लॉकडाउन के चलते पांच माह से भी अधिक समय से सभी डैम व पर्यटक स्थल बंद हैं। हालांकि बारिश के मौसम में डैम के आसपास व अन्य स्थलों पर प्रकृति की सुंदरता निहारने लोग पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर पर्यटकों पर निर्भर बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है।

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डैम बंद होने से पतरातू घाटी पहुंच निहार रहे प्रकृति का सौंदर्य

पतरातू डैम में कोरोना काल में सन्नाटा पसरा हुआ है। लॉकडाउन में पर्यटन स्थल को बंद कर दिया गया है। डैम के आसपास के दुकानदार और नाविकों की आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है। हालांकि पतरातू घाटी में प्रकृति के बीच समय बिताने और पिकनिक मनाने के लिए पर्यटक पहुंच रहे हैं। पिछले दिनों जलस्तर बढ़ने से डैम का एक फाटक खोल दिया गया। इसे देखने के लिए लोग पहुंच रहे हैं। लोग यहां पहुंच कर डैम के तालाटांड़ कटुआ कोचा की ओर पिकनिक मना रहे हैं तो नाव से सवारी का मजा ले रहे हैं। यहां पहुंचने वाले अधिकतर रांची और रामगढ़ जिलों के लोग हैं। कोरोना संक्रमण के कारण निजी दो पहिया और चार पहिया वाहनों से पहुंच रहे हैं। संक्रमण के भय से वे यहां खाने-पीने और खरीदारी से बचते दिख रहे हैं। इससे स्थानीय निवासियों में निराशा है।

डैम के पास मछली चावल की दुकान लगाने वाले देवेंद्र महतो बताते हैं कि बरसात के मौसम में डैम की खूबसूरती काफी बढ़ जाती है। ऐसे में रोज कम से कम 200 से 250 पर्यटक पहुंचते थे। रविवार और छुट्टी के दिन यह संख्या काफी ज्यादा होती थी। इससे हमारा कारोबार भी चलता था। आसपास के 27 दुकानदार हैं जिनकी रोजी-रोटी यहां आने वाले पर्यटकों के भरोसे चलती थी। इस बार उन सभी के घरों में खाने तक की दिक्कत है। दिन में पांच-दस पर्यटक आते हैं। डैम बंद होने से घाटी घूमकर चले जाते हैं। अब जब सबकुछ खुल रहा है तो सरकार को डैम भी खोल देना चाहिए।

गेतलसूद डैम के खुलने से हुंडरू फॉल की खूबसूरती तो बढ़ी लेकिन दीदार करने नहीं आ रहे पर्यटक

पिछले पांच दिन से गेतलसूद डैम का फाटक खोलकर पानी छोड़ा जा रहा है। इससे हुंडरू फॉल की खूबसूरती बढ़ गई है लेकिन दीदार करनेवाले कहीं नजर नही आ रहे हैं क्योंकि हुंडरू फॉल बंद होने के कारण वे यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे छोटे-छोटे दुकानदारों के समक्ष भुखमरी की स्थिति है। लोगों के अनुसार पिछले दिनों होटल चलानेवाले चन्द्रमोहन बेदिया की मौत हो चुकी है। कई दुकानदारों की स्थिति खराब है। ग्रामप्रधान बालेश्वर बेदिया ने बताया कि दर्जनों परिवारों के लिए आमदनी का मुख्य स्रोत हुंडरू फॉल आने वाले पर्यटक रहे हैं। पिछले पांच माह से अधिक समय से इन परिवारों के भरण-पोषण पर आफत है। इधर पूर्व प्रमुख राजेन्द्र शाही मुंडा ने सरकार से सभी जलप्रपातों को लॉकडाउन की कुछ शर्तो के साथ खोलने की मांग की है ताकि आश्रित परिवारों की रोजी-रोटी चल सके।

हुंडरू फॉल से पांच दर्जन के करीब छोटे-बड़े दुकानदारों का भरण-पोषण होता था। आसपास के गांवों हुंडरू, सिदरीतोपा, मायलडीह, सारूबेड़ा, बुटगोड़ा, खभावन, कुच्च आदि के लोगों की जीविका चलती थी। पांच माह से हुंडरू फॉल बंद होने से सभी दुकानदार दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं। लॉकडाउन में इन्हें काम भी नही मिल रहा है। जोन्हा व सीताफॉल की भी यही स्थिति है। इन जगहों पर अपनी जीविका चलाने वाले करीब पांच दर्जन दुकानदार दिहाड़ी मजदूरी करके अपना पेट चला रहे है।


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