Indian Railways: रहें सावधान, Rajdhani Express की पैंट्री कार का खाना खाकर आप हो सकते हैं बीमार
Indian Railways. हटिया से खुलने वाली अधिकांश ट्रेनों की सफाई में भारी कोताही बरती जा रही है। ट्रेनों में आपको दिया जा रहा भोजन हाइजेनिक नहीं है। पैंट्री कार में चूहे दौड़ते रहते हैं।
रांची, जागरण संवाददाता। ट्रेनों में आपको दिया जा रहा भोजन हाइजेनिक नहीं है। इन्हें खाकर आप बीमार पड़ सकते हैं। हटिया से खुलने वाली अधिकांश ट्रेनों की सफाई में भारी कोताही बरती जा रही है। मंगलवार दोपहर लगभग 2:55 बजे सफाईकर्मी वाशिंग लाइन 7 व 8 पर हटिया-पटना-इस्लामपुर ट्रेन की सफाई करने में व्यस्त थे। वहीं दूसरी ओर, यार्ड में खड़ी रांची-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस खड़ी थी।
कोच में फेंका गया खराब भोजन का पैकेट।
ट्रेन के अंदर पैंट्री कार में चूहे दौड़ रहे थे। भोजन के कई पैकेट एसी कोच की सीट के इर्द-गिर्द पड़े थे। उससे दुर्गंध आ रही थी। पैंट्री कार भी गंदगी से भरा हुआ था। इसके ठीक आगे के कोच में शौचालय के समीप कूड़े का ढेर पड़ा हुआ था। कुछ दिनों पूर्व ही दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस में पैंट्री कार के विषाक्त भोजन से कई यात्री बीमार हो गए थे। फिर भी पैंट्री कार से यात्रियों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर रेलवे अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
कोच की सफाई के लिए मात्र छह वाशिंग लाइन
हटिया स्थित रेलवे यार्ड में पैसेंजर व लंबी दूरी की ट्रेनों की सफाई के लिए कुल आठ वाशिंग लाइन उपलब्ध हैं। हालांकि इनमें से दो वाशिंग लाइन फिलहाल बंद है। लिहाजा शेष छह वाशिंग लाइनों पर ही सभी ट्रेनों की सफाई का बोझ है। सफाई कार्य के लिए तीन शिफ्टों में सफाईकर्मी प्रतिनियुक्त किए गए हैं।
प्रत्येक शिफ्ट में 38 सफाईकर्मी कार्यरत हैं। सफाईकर्मियों की मानें तो एक ट्रेन की सफाई में कम से कम छह घंटे का समय चाहिए। लेकिन वाशिंग लाइन की कमी के कारण समय पर ट्रेनों की सही तरीके से सफाई नहीं हो पाती है। लंबी दूरी की कई ट्रेनें अपने निर्धारित समय पर नहीं पहुंचती हैं। इस वजह से ट्रेनों की आधी-अधूरी सफाई ही हो पाती है।
वाशिंग लाइन की क्षमता 26 कोच की
हटिया स्थित रेलवे यार्ड में वाशिंग लाइन की क्षमता मात्र 26 कोच की है। जबकि हटिया से प्रतिदिन खुलने वाली ट्रेनों की संख्या 44 है। प्रतिदिन 30 से 35 हजार यात्री विभिन्न ट्रेनों में सफर करते हैं। वाशिंग लाइन की कमी के कारण सफाईकर्मी सिर्फ शौचालयों की सफाई कर खानापूर्ति कर देते हैं, जबकि स्लीपर व एसी कोच में सिर्फ झाड़ू लगाए जाते हैं।
ट्रेनों की सफाई से संबंधित मामला मेरे संज्ञान में आया है। इस मामले की जांच की जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। -नीरज सिंह, सीपीआरओ, रांची रेल मंडल।
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