Tokyo Olympics: पिता किसान, मां गृहिणी और बेटी बनी ओलिंपियन; पढ़ें सलीमा का भारतीय हॉकी टीम तक का सफर
Tokyo Olympics Salima Tete Jharkhand News टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए खेल रही सलीमा का परिवार आज भी गांव में मिट्टी के मकान में रहता है। उसके पिता सुलक्सन टेटे एवं भाई अनमोल लकड़ा खेत में खुद से हल-जोतकर अन्न उपजाते हैं।
सिमडेगा, जासं। भारतीय महिला टीम में खेल रही सलीमा टेटे का ओलिंपिक तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण एवं चुनौती भरा रहा है। झारखंड के सिमडेगा जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर पिथरा पंचायत के छोटे से गांव बड़कीछापर के उबड़-खाबड़ मैदान पर हस्त निर्मित बांस के स्टिक व बॉल से सलीमा ने हॉकी खेलना शुरू किया था। टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में खेल रही सलीमा का परिवार आज भी गांव में मिट्टी के मकान में रहता है। उसके पिता सुलक्सन टेटे एवं भाई अनमोल लकड़ा खेत में खुद से हल-जोतकर अन्न उपजाते हैं।
इससे परिवार का भरण-पोषण होता है। सलीमा की मां सुबानी टेटे गृहिणी है। सलीमा की चार बहनों में इलिसन, अनिमा, सुमंती एवं महिमा टेटे शामिल हैं। महिमा भी राज्य स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता खेलती रही है। इधर सलीमा का चयन ओलिंपिक में होने के बाद उसके परिवार के साथ-साथ गांव के लोग भी गौरवान्वित हैं। इससे पहले 1980 में पुरुष वर्ग में सिल्वानुस डुंगडुंग का चयन हुआ था। जबकि 1972 में माइकिल किंडो ने म्यूनिख ओलिंपिक में भाग लिया था।
सलीमा जिले की पहली बेटी है, जिसने ओलिंपिक तक का सफर किया है। हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी ने कहा कि सलीमा बचपन से ही प्रतिभाशील रही है। लठ्ठाखम्हन में हर वर्ष आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में उसने शानदार प्रदर्शन कर सबका ध्यान आकर्षित किया था। लंबे संघर्ष के बाद आज सलीमा ओलंपिक में खेल रही है। उन्हें उम्मीद है कि भारतीय महिला हॉकी टीम फाइनल में पहुंचेगी और पदक लेकर ही वापस लौटेगी।