Tokyo Olympics: हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान ने पिता से कहा था, ओलिंपिक खेलने के बाद ही करूंगी शादी
HockeyIndia Nikki Pradhan Tokyo Olympics निक्की बचपन से ही पढ़ाई के अलावा एक ही चीज जानती थी वह है हॉकी। हॉकी निक्की के अंदर इस तरह से रच-बस गया था कि वह सोते-जागते हॉकी के बारे ही सोचती रहती थी।
खूंटी, जासं। बच्चों की सफलता में अभिभावकों की भूमिका भी अहम रहती है। लेकिन बच्चा अगर लक्ष्य निर्धारित कर मंजिल पाने के लिए मेहनत करे तो उसे मंजिल मिल ही जाती है। मन में ठान लिया जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। ओलिंपियन निक्की प्रधान इसकी प्रत्यक्ष उदाहरण है। निक्की ने जता दिया कि लक्ष्य निर्धारित कर कड़ी मेहनत की जाए तो कोई बाधा मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। बशर्ते सुनियोजित ढंग से इसके लिए निरंतर परिश्रम करना होगा। यहां तक कि निक्की ने ओलिंपिक के लिए अपनी शादी भी टाल दी।
निक्की बचपन से ही पढ़ाई के अलावा एक ही चीज जानती थी, वह है हॉकी। हॉकी निक्की के अंदर इस तरह से रच-बस गया था कि वह सोते-जागते हॉकी के बारे ही सोचती रहती थी। निक्की के पिता सोमा संयुक्त बिहार के समय से पुलिस में सिपाही की नौकरी करते थे। झारखंड अलग राज्य गठन के बाद वे नौकरी से सेवानिवृत हुए। निक्की और उसकी बहनों को हॉकी खेलने से उन्होंने कभी मना नहीं किया। बल्कि बच्चों को बीच-बीच में प्रोत्साहित करते रहते थे। उन्हें जरूरत के मुताबिक खेल सामग्री भी लाकर देते रहे।
ओलंपिक तक ना करे कोई शादी की बात
हॉकी निक्की के दिल व दिमाग में रच बस गया है। उसका एकमात्र लक्ष्य ओलिंपिक खेलकर देश के लिए पदक हासिल करना है। निक्की के पिता सोमा प्रधान बताते हैं कि निक्की को शादी के नाम से गुस्सा आ जाता है। कई बार उसने और अन्य स्वजनों ने निक्की से शादी करने की बात कही। निक्की कहती है कि टोक्यो ओलिंपिक खेलने तक कोई भी शादी को लेकर चर्चा नहीं करेगा। ओलिंपिक खेलने के बाद ही शादी पर बात करूंगी। कोई भी शादी की बात कर उसे ओलिंपिक के सफर में बाधा नहीं डालेगा।
निक्की के पिता कहते हैं कि ऐसे जुनून से लबालब भारतीय महिला हॉकी टीम ओलिंपिक में अवश्य ही गोल्ड मेडल हासिल करेगी। चार बहनों में निक्की दूसरी है। उसकी बड़ी बहन शशि प्रधान राष्ट्रीय स्तर की हॉकी खिलाड़ी है। उसकी शादी हो चुकी है। शशि फिलहाल रेलवे में नौकरी कर रही है और हटिया में पदस्थापित है। निक्की से छोटी कांति प्रधान भी राष्ट्रीय स्तर की हॉकी खिलाड़ी है और वह भी रेलवे में नौकरी करती है। फिलहाल धनबाद में पदस्थापित है।
ओलिंपिक तपस्या के दौरान नहीं आई घर
ओलिंपिक की तैयारी में निक्की प्रधान ने एक प्रकार से तपस्या की है। ओलिंपिक की तैयारी में निक्की इस प्रकार लीन थी कि उसने घर आना भी छोड़ दिया था। निक्की प्रधान पर हॉकी का जुनून ऐसा सवार था कि वह अन्य किसी भी चीज पर ध्यान ही नहीं देती थी। निक्की के पिता सोमा प्रधान कहते हैं कि ओलिंपिक की तैयारी के कारण निक्की घर भी नहीं आई थी। पिछली बार निक्की लॉकडाउन के दौरान घर आई थी, जब उसका प्रशिक्षण कुछ दिनों के लिए बंद हो गया था। इसके बाद निक्की घर भी नहीं आई है। निक्की के अलावा उसकी छोटी बहन और एक भाई रांची में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। आज निक्की को उसकी तपस्या का फल मिल रहा है। ओलिंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम अपना पचरम लहरा रही है।
जब स्टेडियम में घुसने से पुलिस ने रोका
निक्की प्रधान की मां जीतनी देवी ने बताया कि निक्की को बचपन से ही हॉकी खिलाड़ी बनने का शौक था। उसने बचपन से ही इसके लिए कड़ी मेहनत की है। एक बार जब बेटी राजधानी रांची के एक स्टेडियम में हॉकी का एक मैच खेल रही थी तो निक्की के माता-पिता भी मैच देखने रांची गए थे। इस दौरान उन्हें स्टेडियम में घुसने नहीं दिया गया था। पुलिस वालों ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया था। उस समय बेटी का खेल नहीं देख पाने का उन्हें दुख हुआ था। निक्की की मां कहती है कि आज बेटी ओलिंपिक खेल रही है, इससे बड़ी खुशी और कुछ नहीं। देश ही नहीं, पूरी दुनिया उसकी बेटी का खेल देख रही है। मां को उम्मीद है कि भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो से गोल्ड मेडल लेकर ही स्वदेश आएगी।