झारखंड के 23 जिलों में नाममात्र की धान खरीद, किसान परेशान
किसानों के सामने आधी कीमत में धान बिचौलियों को बेचने की विवशता
राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड में धान खरीद शुरू हुए 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन सुस्त चाल के कारण अभीतक नाममात्र की ही धान खरीद हो सकी है। हालत यह है कि एक गिरिडीह जिले को छोड़ दें तो बाकी 23 जिलों में धान खरीद का आंकड़ा लगभग शून्य पर है। कुछ जिलों में धान खरीद शुरू भी हुई तो गीला धान नहीं खरीदने के निर्देश के बाद वहां भी खरीद ठप हो गई। अभी हाल यह है कि राज्य के एक भी धान क्रय केंद्र में धान की खरीद नहीं हो रही है। उधर, किसान औने-पौने भाव में बिचौलियों के पास या जहां-तहां धान बेचने को मजबूर हैं।
यह हाल तब है जब कांग्रेस की राजनीतिक प्राथमिकताओं में धान की खरीदारी शामिल है और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर चल रहे आंदोलन को पार्टी समर्थन दे रही है। पूरे राज्य की बात करें तो अभी तक ज्यादातर जिलों में धान खरीद की शुरुआत नहीं हो सकी है। 15 नवंबर से धान खरीद शुरू करने की घोषणा के बाद दोबारा वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव ने एक दिसंबर से धान की खरीदारी की शुरुआत की घोषणा की। इस बीच गीला धान नहीं खरीदने की भी घोषणा हुई।
किसानों का कहना है कि उन्हें बाजार में 10 से 12 रुपये प्रतिकिलो की दर से उन्हें धान बेचना पड़ रहा है, जबकि राज्य की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य और बोनस को मिलाकर उन्हें 20.05 रुपये प्रति किलो की दर से भुगतान होना है। किसानों के साथ विडंबना यह है कि जैसे ही उनकी फसल की उपज होती है, उनकी जरूरतें पहले से ही मुंह बाए रहती हैं। ऐसे में इंतजार करने की बजाय वह आधी कीमत में ही धान बेच देते हैं, ताकि उन्हें जरूरत के पैसे मिल जाएं।
साहिबगंज समेत कई जिलों के लैंपस प्रबंधक केंद्रों पर अभी किसानों के नहीं पहुंचने की बात भी कह रहे हैं। उनका कहना है कि कई जगह अभी धनकटनी खत्म नहीं हुई है। इस कारण यह स्थिति है। वहीं दूसरी ओर जहां खरीद शुरू हुई थी, वहां अचानक धान खरीद बंद कर दिए जाने से कई जगह के किसान केंद्रों से लौट रहे हैं।
गिरिडीह में धान खरीद की स्थिति थोड़ी ठीक दिखी। डीएसओ डा. सुदेश कुमार ने बताया कि जिले के सभी 37 पैक्सों में धान की खरीदारी हुई है। यहां बुधुडीह में 48 किसानों ने 2206.6 क्विंटल, देवरी प्रखंड के करुडीह पैक्स 17 किसानों ने 1500 क्विंटल और लेदो आहरडीह में सात किसानों ने 390 क्विंटल धान बेचा। शुक्रवार से यहां भी सभी जगह खरीदारी बंद कर दी गई है।
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सभी जिलों के अधिकारियों से बात कर ली गई है। सभी केंद्र खुल गए हैं और सूखा धान लानेवाले किसानों को कहीं कोई दिक्कत नहीं होगी। भींगे धान की खरीदारी न कभी होती थी ना अभी होगी। यह बात किसान भी जानते हैं। बिचौलिए जरूर भींगा धान बेचने की फिराक में हैं। धान खरीदारी के अलावा चावल मिलों व एफसीआइ से भी बात कर ली गई है और पुरी व्यवस्था दुरुस्त है।
डॉ. रामेश्वर उरांव, खाद्य आपूर्ति सह वित्त मंत्री, झारखंड।
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कम कीमत में धान बेचना मजबूरी खून-पसीना एक करके धान उपजाया। सोचा था सरकारी रेट पर धान बेचूंगा। क्रय केंद्र समय पर नही खुलने के कारण मजबूरी में 3 दिसंबर को 10 रुपये प्रति किलो की दर से 13 क्विटल धान बेच दिया। लोन भरना था इस कारण धान बेचने की मजबूरी थी। मेरे तरह ही गांव के खिरोध चौधरी व शंकर चौधरी ने भी 10 रु किलो धान बेचा है।
लालधारी चौधरी
ग्राम चोटहांसा, चैनपुर, पलामू।
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खेती करने के दौरान ही बीज, खाद, जुताई, सिंचाई से लेकर तमाम जरूरतों के लिए कई लोगों से उधार लेना हमारी मजबूरी है। फसल होते ही वे अपना उधार चुकाने के लिए दबाव बनाते हैं। उधार चुकाने के लिए कम कीमत में ही व्यवसायियों के हाथों धान बेचना पड़ता है। हमारी अपनी भी जरूरतें रहती हैं। फरवरी तक गरीब किसान धान को कैसे रख पाएगा।
अवध बिहारी सिंह, ग्राम तेनार, मेराल, गढ़वा।
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