Terror Funding: NIA ने पूछताछ के बाद गुजरात के टिंबर कारोबारी को भेजा जेल
Jharkhand. गुजरात के टिंबर कारोबारी नवीन जयंति पटेल से पूछताछ में पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के लेवी-रंगदारी के रुपयों को निवेश करने की पुष्टि हुई है।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य में टेरर फंडिंग की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने गुरुवार को गुजरात के टिंबर कारोबारी नवीन जयंति पटेल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पटेल पर एनआइए की प्रारंभिक जांच में उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के लेवी-रंगदारी से जुटाई गई राशि के निवेश की पुष्टि हुई है। इस केस में एनआइए ने पूर्व में दिनेश गोप के सहयोगी विनोद कुमार, यमुना प्रसाद, चंद्र शेखर कुमार, नंद किशोर व मोहन कुमार को जेल भेजा था। सुप्रीमो दिनेश गोप अभी फरार है।
जयंति पटेल गुजरात के आणंद स्थित वीवी रोड करमसाद के रहने वाले हैं। वे व्यवसाय के लिए दिल्ली में रहते हैं। नवीन पटेल ने 28 जुलाई को एनआइए के रांची स्थित धुर्वा कैंप में प्रस्तुत होकर अपना बयान दर्ज करवाया था। इसके बाद 29 जुलाई को एनआइए ने बयान के सत्यापन के लिए दोबारा बुलाया था। इसकी जानकारी उन्होंने अपनी पत्नी को दी थी। लेकिन 29 जुलाई को वे कहां गए, इसकी जानकारी किसी को नहीं दी थी। 30 जुलाई की सुबह करीब पांच बजे नवीन ने साला भगवान पटेल को एक मैसेज भेजा था, जिसमें लिखा था वह जीवन से ऊब गए हैं और सुसाइड करने जा रहे हैं।
परिजन की सूचना पर रांची पुलिस भी नवीन की तलाश में जुटी थी। उधर एनआइए भी परेशान थी। इस बीच नवीन के मुंबई में होने की जानकारी मिली। उन्होंने परिजन से अपने खाते में रुपये मंगवाए और 31 जुलाई की शाम हवाई मार्ग से रांची पहुंचकर एनआइए के कार्यालय में आत्मसमर्पण किया। यहां से गुरुवार को एनआइए ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
नोटबंदी के समय बेड़ो में बरामद 25 लाख रुपये मामले की जांच कर रही है एनआइए
500 व 1000 रुपये के पुराने करेंसी नोट की बंदी के वक्त 11 नवंबर 2016 को पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के 25 लाख रुपये बरामद किए गए थे। दिनेश गोप ने अपने शागिर्दों को बेड़ो स्थित नंद किशोर महतो के पेट्रोल पंप पर नोटबंदी के समय रुपये बदलने के लिए भेजा था। उस बड़ी रकम को रांची पुलिस की टीम ने पकड़ लिया था। मौके से चार लोग एक राइफल और एक एयर गन के साथ पकड़े गए थे। इस केस को एनआइए ने टेकओवर किया था। तब से ही एनआइए इसकी जांच कर रही है।
इस कांड के अनुसंधान के दौरान एनआइए ने वैसे व्यवसायियों को भी चिह्नित किया है, जो पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के रुपयों का निवेश करते थे। इसी मामले में एक व्यवसायी ये टिंबर व्यवसायी भी हैं। उनसे मामले से जुड़े तथ्य जानने के लिए बीते 29 अप्रैल को हाजिर होकर बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया था। उस तिथि को वे रांची नहीं पहुंच पाए थे। दूसरी निर्धारित तिथि 28 जुलाई थी, जिसमें वे दिल्ली से सीधे रांची पहुंचे थे और अपनी गवाही दर्ज कराई थी।
पहले भी झारखंड-पश्चिम बंगाल में छापेमारी कर चुकी है एनआइए
पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप से साठ-गांठ व लेवी-रंगदारी के रुपयों के निवेश मामले में पहले भी एनआइए झारखंड-बंगाल में छापेमारी कर चुकी है। एनआइए की टीम 21 फरवरी को रांची, गुमला, खूंटी व कोलकाता के दस ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस मामले में दिनेश गोप के सहयोगी विनोद कुमार, यमुना प्रसाद, चंद्र शेखर कुमार, नंद किशोर व मोहन कुमार गिरफ्तार हो चुके हैं। पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप अभी फरार है। इनपर आरोप है कि इन्होंने पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप को गलत तरीके से वित्तीय फंडिंग की, लेवी दी या लेवी वसूलने में मदद की।
एनआइए ने छापेमारी में पीएलएफआइ सुप्रीमो व कैडर के माध्यम से विभिन्न फर्म व अचल संपत्ति में भुगतान व निवेश से संबंधित दस्तावेज बरामद किया था। फर्जी पैन कार्ड व फर्जी पहचान पत्र, बैंक खाते व फिक्स डिपोजिट का ब्योरा। करीब 3.41 लाख रुपये नकदी, विभिन्न शेल कंपनियों में निवेश से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किए गए थे। एनआइए को 40 मोबाइल व अन्य डिजिटल उपकरण, डायरियां आदि मिली थी।
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