कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में मधु कोड़ा को तीन साल की जेल
जुर्माने की रकम न देने पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को दो साल जेल में काटने पड़ेंगे।
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) कार्यकाल में हुए चर्चित 1.86 लाख करोड़ रुपये के कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में दिल्ली के पटियाला हाउस स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने शनिवार को अपना फैसला सुना दिया।
कोर्ट ने झारखंड के राजहरा उत्तरी कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु तथा विनी आयरन एंड स्टील उद्योग (वीआइएसयूएल) कंपनी के निदेशक विजय जोशी को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कंपनी समेत चारों को 120बी (आपराधिक साजिश), प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के सेक्शन 13 (1) व (2) में दोषी करार देते हुए अपना फैसला दिया है।
विशेष सीबीआइ जज भरत पराशर ने सजा के अलावा कोड़ा व जोशी पर 25-25 लाख, गुप्ता व बसु पर एक-एक लाख व कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की रकम सभी को तीन जनवरी, 2018 तक कोर्ट में जमा करानी होगी। जुर्माने की रकम न देने पर कोड़ा को दो साल, जोशी को एक साल तथा गुप्ता व बसु को 10-10 महीने और जेल में काटने पड़ेंगे। सभी ने सजा को हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए अंतरिम जमानत का आग्रह किया, जिसके बाद कोर्ट ने सभी को दो माह के लिए अंतरिम जमानत प्रदान कर दी।
गत 13 दिसंबर को कोर्ट ने मामले में वीआइएसयूएल के एक अन्य निदेशक वैभव तुल्सयान, लोक सेवक बसंत कुमार भट्टाचार्या व बिपिन बिहारी सिंह और चार्टर्ड एकाउंटेंट नवीन कुमार तुल्सयान को बरी कर दिया था। वहीं 14 दिसंबर को सजा की अवधि पर जिरह के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शनिवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व केंद्रीय सचिव एचसी गुप्ता समेत अन्य दोषी कोर्ट में मौजूद थे। न्यायाधीश भरत परासर ने कहा कि सभी तथ्यों व परस्थितियों को देखते हुए दोषियों का कृत्य क्षमा के योग्य नहीं है। दोषियों ने साजिश रचकर करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया। ऐसे में दोषियों के प्रति नरमी नहीं बरती जा सकती।
दूसरी ओर मधु कोड़ा ने कहा कि मैं कोर्ट के फैसले से दुखी हूं। पूरी कोशिश करने के बाद भी मैं अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर सका। मुझे राजनीति का शिकार बनाया गया है। मैं सच की लड़ाई को जारी रखूंगा और कोर्ट के आदेश का अध्ययन व वकीलों से सलाह लेने के बाद हाई कोर्ट में सच की लड़ाई लडूंगा। मेरे सभी बैंक खाते सीज हैं और निजी मुचलका भरने के लिए मुझे करीबियों से रुपये उधार लेने पड़ेंगे।
गौरतलब है कि घोटाले से संबंधित आरोप पत्र में सीबीआइ ने कहा था कि कंपनी ने आठ जनवरी, 2007 को राजहरा उत्तरी कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन किया था। सीबीआइ ने आरोप लगाया था कि झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने वीआइएसयूएल को कोयला खंड आवंटन करने की अनुशंसा नहीं की बल्कि 36वीं अनुवीक्षण समिति (स्क्रीनिंग कमेटी) ने आरोपी कंपनी को खंड आवंटित करने की सिफारिश की थी।
सीबीआइ ने यह भी आरोप लगाया था कि अनुवीक्षण समिति के अध्यक्ष एचसी गुप्ता ने कोयला मंत्रालय का प्रभार भी देख रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कथित तौर पर इन तथ्यों को छुपाया कि झारखंड सरकार ने वीआइएसयूएल को कोयला ब्लॉक आवंटन करने की सिफारिश नहीं की थी।
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