फर्जी अंकपत्र पर हुए थे बहाल, रांची विवि के 3 शिक्षक बर्खास्त
अंकों के साथ हेराफेरी करने के मामले में तीनों पर केस दर्ज किया जाएगा। इससे पहले बीते फरवरी में भी फर्जीवाड़ा मामले में मांडर कॉलेज के तीन शिक्षक बर्खास्त हुए थे।
रांची, जासं। रांची विश्वविद्यालय के तीन शिक्षकों को फर्जी अंकपत्र के आधार पर लेक्चरर बनने पर बर्खास्त कर दिया गया है। ये तीनों शिक्षक केसीबी कॉलेज बेड़ो के हैं, जो तीन दशक तक सेवा दे चुके हैं। बर्खास्त किए गए शिक्षकों में अंग्रेजी के शिक्षक प्रो. उमेशनंद तिवारी, इकोनॉमिक्स के मो. जमाल असगर तथा मनोविज्ञान की डॉ. प्रतिमा सिन्हा शामिल हैं। तीनों से वेतन मद में दी गई राशि की भी वसूली की जाएगी। सोमवार को रांची विवि मुख्यालय में वीसी प्रो. रमेश कुमार पांडेय की अध्यक्षता में हुई सिंडिकेट की बैठक में इन शिक्षकों को बर्खास्त करने से संबंधित प्रस्ताव पर मुहर लगी। बैठक में कहा गया कि अंकों के साथ हेराफेरी करने के मामले में तीनों पर प्राथमिकी भी दर्ज की जाएगी।
दो सदस्यों एसएस मेमोरियल कॉलेज की प्राचार्या डॉ. एस नेहार और जेएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बीपी वर्मा दोषी तीनों शिक्षकों का बचाव कर रहे थे। इनका कहना था कि तीनों का मामला हाइकोर्ट में लंबित है, ऐसे में बर्खास्त किया जाना उचित है क्या? इस पर सदस्य अर्जुन राम और अटल पांडेय ने कड़ा विरोध किया। कहा, मामले को अब और कितने दिन लटकाए रखना चाहते हैं। फिर मामला शांत हो गया।
गौरतलब है कि इससे पहले बीते फरवरी में भी फर्जीवाड़ा मामले में मांडर कॉलेज के तीन शिक्षक बर्खास्त हुए थे।
बैठक में प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ. पीके वर्मा, रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी, प्रॉक्टर डॉ. दिवाकर मिंज, डॉ. यूसी मेहता, डॉ. च्योति कुमार, अटल पांडेय, अर्जुन राम सहित अन्य थे।
पीजी के अंकों में हेराफेरी
बर्खास्त किए गए तीनों शिक्षकों ने पीजी के अंकपत्र में हेराफेरी की थी। 14 मार्च 2008 को केसीबी कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य ने मामले की जानकारी विवि को दी थी। इसके बाद विवि ने जांच कमेटी भी गठित कर दिया था। कमेटी ने उसी समय रिपोर्ट में दोनों के अंक को फेक बताया था। लेकिन उस समय के विवि प्रशासन ने लीगल ओपिनियन की बात कह मामले को लटका दिया।
वेतन पर रोक के बाद चले गए थे कोर्ट
बैठक में सदस्य अर्जुन राम और अटल पांडेय ने मामले को दबाने वाले लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की। इसके बाद मामले की जांच के लिए कमेटी गठित करने का निर्णय हुआ। गौरतलब है कि पिछले सिंडिकेट की बैठक में तीनों शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद तीनों शिक्षक कोर्ट चले गए हैं, जहां मामला लंबित है।
बीच सत्र में नहीं बढ़ेगा शुल्क
सिंडिकेट की बैठक में निर्णय हुआ कि बीच सत्र में शुल्क नहीं बढ़ाया जाएगा। बढ़ा हुआ शुल्क अगले वर्ष से लिया जाएगा। गौरतलब है कि छात्रों ने वीसी से मिलकर बढ़ा हुआ शुल्क वापस लेने की मांग किया था। सदस्य अटल पांडेय ने फाइल ट्रेकिंग सिस्टम की ओर ध्यान दिलाया। कहा, फाइल ट्रेकिंग सिस्टम लागू होने से समय पर कार्य पूरा होगा। साथ ही यह आसान भी होगा। इसके बाद इसे लागू करने पर स्वीकृति मिल गई। वीसी ने कहा कि अब सिंडिकेट की बैठक हर माह होगी।
इन एजेंडों पर भी मुहर
- रांची वीमेंस कॉलेज की डॉ. रेणुका ठाकुर के लियन को स्वीकृति मिली।
- महापुरुषों की जयंती के दिन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- बीएस कॉलेज के दिवंगत विनोद केरकेट्टा को सात वर्ष सेवा पूरी करने की तिथि से प्रयोग प्रदर्शक के पद पर प्रोन्नति।
- पीपीके कॉलेज बुंडू के सुबोध चंद्र शुक्ल व धान सिंह महतो को प्रयोग प्रदर्शक के पद पर प्रोन्नति।
- विवि में दैनिक कमियों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानदेय मिलेगा।
- 24 अक्टूबर को अनुकंपा समिति की बैठक में लिए गए निर्णय पर मुहर
इन्हें मिली प्रोन्नति
नाम- संस्थान- विषय- किस पद पर प्रोन्नति
डॉ. विनोद सिंह- केसीबी कॉलेज- बॉटनी- सीनियर स्केल
प्रो. बीरबल नाग- सिमडेगा कॉलेज- बॉटनी- सीनियर स्केल
डॉ. अनिल कुमार- रांची कॉलेज- बॉटनी- रीडर
डॉ. उदय कुमार- पीजी जियोलॉजी- जियोलॉजी- प्रोफेसर
डॉ. अभिजीत दत्ता-पीजी जूलॉजी- जूलॉजी- प्रोफेसर
डॉ. मोहन गोप- बीएनजे सिसई- संस्कृत-रीडर
डॉ. ब्रजेश मिश्र- केसीबी बेड़ो- संस्कृत-रीडर
डॉ. अमल चौधरी- केओ कॉलेज- गणित- प्रोफेसर
डॉ. जयंती अशोक- पीजी फिजिक्स- फिजिक्स- प्रोफेसर
डॉ. एलके सिन्हा- पीजी बॉटनी- बॉटनी- रीडर
डॉ. सैयद एम अब्बास- रांची कॉलेज- एंथ्रोपोलॉजी- रीडर
डॉ. नलिनी कांत राय- पीजी केमिस्ट्री- केमिस्ट्री- सीनियर स्केल
डॉ. सुशील कुमार सिन्हा- एसएसएम कॉलेज- रसायनशास्त्र- रीडर
डॉ. आशा लता केसरी- वीमेंस कॉलेज- गणित- प्रवर कोटि
तीनों शिक्षकों के फर्जी अंकपत्र मामले की जांच पहले भी हुई थी। लेकिन उस समय के विवि प्रशासन ने निर्णय नहीं लिया। कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई। तीनों शिक्षकों को जांच कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखने का मौका मिला। सिंडिकेट में चर्चा के बाद बर्खास्तगी का निर्णय लिया गया। तीनों को वेतन मद में दी गई राशि की वसूली के साथ प्राथमिकी भी दर्ज की जाएगी।- प्रो. रमेश कुमार पांडेय, वीसी आरयू