Lockdown Positive Effect: लॉकडाउन में पत्नी ने की मदद तो छूट गई 14 साल से गुटखा खाने की आदत
Lockdown Positive Effect. शादी के बाद कई बार कोशिश की गुटखा छोडऩे की लेकिन सप्ताह भर के बाद फिर खाने लगता। अब मुझे गुटखा खाने का मन भी नहीं करता है।
रांची, जासं। तंबाकू खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यह जानते हुए भी लोग खैनी, गुटखा खाते हैं। छोड़ना भी चाहें तो नहीं छोड़ पाते। इसके लिए वे दस तरह के बहाने बनाते हैं। लेकिन कोरोना वायरस के कारण उपजे लॉकडाउन की स्थिति ने कईयों का जीवन बदल दिया। कोकर बिजली ऑफिस के पास रहने वाले अभय कुमार सिंह कहते हैं, कॉलेज जाने के बाद दोस्तों की संगति में गुटखा खाने की लत लग गई थी। इसके बाद व्यापार में उतरने के बाद कई और तरह से तंबाकू का सेवन करने लगा।
शादी के बाद कई बार कोशिश की गुटखा छोडऩे की, लेकिन सप्ताह भर के बाद फिर खाने लगता। लॉकडाउन मेरी जिंदगी में बदलाव लेकर आया। लॉकडाउन में सरकारी रोक के बाद दुकानों में आसानी से मिलने वाला गुटखा काफी मुश्किल से मिलने लगा। पांच रुपये वाले गुटखा के लिए दुकानदार सात से आठ रुपये लेने लगे। हालांकि वो भी आसानी से नहीं मिलता था।
ऐसे में मैंने इस बार पूरे तरीके से गुटखा छोडऩे मन बना लिया। इसमें मेरी पत्नी ने काफी मदद की। उसने घर में सौंफ, इलाइची, दालचीनी और पीपरमिंट को मिलाकर एक मिश्रण बनाया। मेरा जब कभी काफी ज्यादा गुटखा खाने का मन करता, मैं इस मिश्रण को खा लेता। पिछले तीन महीने से मैंने एक बार भी गुटखा नहीं खाया। अब मुझे गुटखा खाने का मन भी नहीं करता है।
तंबाकू के सेवन से मुंह के कैंसर से लेकर फेफड़े व दिल की भी बीमारी
तंबाकू खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है, ये सभी जानते है बावजूद दिन भर में न जाने कई बार इसका सेवन करते हैं। तंबाकू का ही एक रूप होता है गुटखा, जिसे कत्था और सुपारी को मिलाकर तैयार किया जाता है। इसके साथ ही एक ऐसा जहरीला केमिकल मिलाया जाता है जो धीरे-धीरे असर करता हुआ मुंह से लेकर शरीर के दूसरे जरूरी अंगों पर प्रभाव डालता है।
लगातार गुटखे या तम्बाकू का सेवन आपके दांत को ढीले और कमजोर बना देते हैं। बैक्टीरिया दांतों में जगह बना लेते हैं जिससे दांतों का रंग बदलने लगता है और धीरे-धीरे दांत गलने भी लगते हैं। शरीर के एंजाइम्स पर भी तम्बाकू बुरा प्रभाव डालता है। इसके अलावा गुटखे में कई तरह के नशीले पदार्थों का मिश्रण होता है जिसकी वजह से शरीर के एंजाइम्स पर बुरा असर पड़ता है।
ये जानकारी रिम्स की डॉ. अर्पिता राय ने दी। उन्होंने बताया कि तंबाकू या गुटखा लगातार खाने वालों की जीभ, जबड़ों और गालों के अंदर सेंसेटिव सफेद पैच बनने लगते हैं और उसी से मुंह में कैंसर की शुरुआत होती है। जिसके बाद धीरे-धीरे मुंह का खुलना बंद हो जाता है और मुंह में पूरी तरह से कैंसर फैल जाता है।
शरीर के हॉर्मोन्स पर भी डालता है प्रभाव
गुटखा या तंबाकू खाने से शरीर के हॉर्मोन्स को तो प्रभावित करता ही है साथ में इसे खाने से आपके डीएनए को भी बहुत भारी नुकसान पहंचता है। तम्बाकू और गुटखे से कैंसर सिर्फ मुंह तक ही नहीं रुकता बल्कि ये श्वासनली से होता हुआ फेफड़े तक पहुंच जाता है और इससे फेफड़े में भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा भविष्य में पारिवारिक जीवन में भी प्रभाव डाल सकता है।