रांची के युवक ने किया कमाल, बिना मिट्टी के डाइनिंग टेबल पर सब्जियां उगा रहे चंदन
Ranchi News इसे कहते है हाइड्रोपोनिक खेती जिसे अपने घर के बालकनी छत डायनिंग टेबल पर की जा सकती है। जिसे रांची में सफलता पूर्वक कर रहें हैं चंदन उपाध्याय। जो कि 9 सालों तक विदेशों में कार्य करने के बाद अपने राज्य की सेवा

रांची, जागरण संवाददाता। विदेश में नौकरी छोड़ रांची में उगा रहे बिना मिट्टी के पौधे. जी हां, सुनने में आश्चर्य लगेगा पर सच है, सोचिए आप डायनिंग टेबल पर खाने बैठै हों और अपने हाथों से हरी मिर्च, निंबू, धनिया पता तोड़ कर खा रहें हों वो भी आपके डायनिंग टेबल पर उगे हुए, बिना मिट्टी के प्रयोग के. आपके बालकनी में पालक के साग, खीरा के साथ साथ हर प्रकार के फल. वो भी बिना मिट्टी के.
हइड्रोपोनिक खेती के जरिए उगा रहे साग-सब्जियां
इसे कहते है हाइड्रोपोनिक खेती, जिसे अपने घर के बालकनी, छत, डायनिंग टेबल पर की जा सकती है। जिसे रांची में सफलता पूर्वक कर रहें हैं चंदन उपाध्याय। जो कि 9 सालों तक विदेशों में कार्य करने के बाद अपने राज्य की सेवा करने की सोची और नौकरी छोड़ रांची आ गए। चंदन बताते हैं की इस तरह की खेती विदेशों में होती है, जिसकी टेक्नोलॉजी को मैनें सीखा और मेरी सोच बदल गई, मैनें सोचा कि क्यों नहीं इसे झारखण्ड में शुरु की जाए. न सिर्फ बिना मिट्टी की खेती, बल्कि यहां के विद्यार्थीयों को इसकी ट्रेनिंग भी दी जाए. इससे रोजगार के अवसर भी प्राप्त होगें और खेती के प्रति रुझान भी।
हरित क्रांति साबित हो सकता है चंदन का प्रयोग
यह हरित क्रांति भी लाने में सफल प्रयोग साबित हो सकता है. शहर में जहां कंक्रीटों का जाल बिछ चुकी है, वहीं हरियाली और शुद्ध हवा मिलना दूभर है. हाइड्रोपोनिक खेती न सिर्फ शुद्ध भोजन में मददगार साबित होगी, बल्कि बड़े बड़े बिल्डिंग भी हरियाली और शुद्व हवा से पर्यावरण को बदल देगी. कल्पना करें हर बालकनी में कहीं साग तो कहीं खीरा हो रहा हो तो कहीं हरी मिर्च, धनिया पता कहीं बैगन तो कहीं चेरी, तरह तरह के फल सब्जियां और बहुत कुछ. चंदन बताते हैं कि बिल्कुल कम खर्च में घर के छत पर बिना मिट्टी के प्रयोग किए यह खेती कि जा सकती है.
Edited By Madhukar Kumar