Move to Jagran APP

योग-अध्यात्म के अभ्यास से मिलती है मानसिक शांति

बहुबाजार स्थित योगदा सत्संग आश्रम में रविवार को परमहंस योगानंद की जयंती मनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 02:46 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 06:15 AM (IST)
योग-अध्यात्म के अभ्यास से मिलती है मानसिक शांति
योग-अध्यात्म के अभ्यास से मिलती है मानसिक शांति

जागरण संवाददाता, रांची : बहुबाजार स्थित योगदा सत्संग आश्रम में रविवार को परमहंस योगानंद की 126वीं जयंती धूमधाम से मनायी गई। सुबह सात बजे सामूहिक ध्यान साधना के बीच कार्यक्रम आरंभ हुआ। सुबह 9.30 बजे से डेढ़ घंटे का गुरुपूजन हुआ। गुरुपूजन में देश-विदेश के 10 हजार से ऊपर श्रद्धालु शामिल हुए। पूजन के बाद हवन किया गया। दोपहर में महाभंडारे का आयोजन किया गया। तीन बजे तक करीब 13 हजार श्रद्धालुओं के बीच खिचड़ी भोग बांटा गया। पुन: संध्या सात बजे विशेष ध्यान शिविर लगाया गया, जिसमें आश्रम के संयासियों द्वारा परमहंस योगानंद एवं क्रिया योग के विषय में जानकारी दी गई। भजन मंडलियों द्वारा गुरु पर केंद्रित भजन कीर्तन भी पेश किया गया। मौके पर योगदा सत्संग आश्रम के महासचिव स्वामी ईश्वरानंद गिरि ने कहा कि आज विश्व में जो योग का प्रचार हुआ है, उसका सर्वाधिक श्रेय परमहंस योगनंद को ही जाता है। परमहंस को पश्चिम में योग के जनक के रूप में जाना जाता है।

loksabha election banner

क्रियायोग के विषय में बताते हुए कहा कि योग-अध्यात्म का महज पूजा पाठ मानना भूल होगी। यह पूर्णत: विज्ञान पर आधारित है। पतंजलि योगसूत्र, गीता में भी क्रियायोग का वर्णन मिलता है। क्रियायोग के निरंतर अभ्यास से भौतिक शरीर के अंदर छिपे अज्ञात शक्ति से साक्षात्कार होता है। इसे करने के दौरान साधक को ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव होता है। मानसिक शांति मिलती है। साथ ही, जीवन में कठिन से कठिन चुनौती को स्वीकार करने मे खुद को सक्षम पाते हैं। ईश्वर से हमारी चेतना जुड़ती है तो समस्त बाधा स्वत: दूर होने लगती हैं। यह कोई गूढ़ व कठिन प्राणायाम नहीं है। सिद्ध संयासी की देखरेख में कोई इस विद्या को प्राप्त कर सकता है। मौके पर योगदा सत्संग आश्रम के कोषाध्यक्ष स्वामी शुद्धानंद, स्वामी श्रद्धानंद, स्वामी निर्वाणानंद, स्वामी सदानंद, स्वामी निगमानंद, स्वामी सत्संगानंद, डीजी पुलिस पीआरके नायडू, झारखंड सरकार के सचिव हिमानी पांडेय, श्यामानंद झा सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।

-----

कर्मचारियों के बीच बांटे गए उपहार

जयंती की पूर्व संध्या पर आश्रम के करीब डेढ़ सौ कर्मचारियों के बीच गुरुकृपा की तौर पर उपहार बांटे गए। योगदा सत्संग आश्रम के कोषाध्यक्ष शुद्धानंद ने अपने हाथों से सभी कर्मचारियों को एक-एक कर बुलाकर उपहार दिए। उपहार के तौर पर खरीदारी के लिए कूपन दिए गए। मौके पर उन्होंने कहा कि जयंती को साधक पर्व की तरह मनाते हैं। इसमें योगदा सत्संग आश्रम के स्वामी सत्संगानंद ने सहयोग किया।

........................

योगदा आश्रम से जुड़कर जीवन की समस्त परेशानी हुई दूर

27 साल पहले कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एक सहेली की सलाह पर योगी कथामृत पढ़ने का मौका मिला। यही मेरे जीवन का टर्निग प्वाइंट साबित हुआ। योगदा सत्संग आश्रम से जुड़ी तो जीवन के समस्त झंझावत, तनाव, दुख आदि स्वत: दूर होते गए। मेरे पति डिफेंस सेक्टर में हैं। जब भी मौका मिलता है दोनों पति-पत्‍‌नी रांची आश्रम आती हूं। यहां काफी शांति का अनुभव होता है।

संध्या नायर, लेखिका, गुजरात, सूरत

.....................

पैसा, रूतबा ऐसो आराम के सभी संसाधन थे लेकिन जीवन में शांति नहीं थी। 2003 में योगदा सत्संग आश्रम से जुड़ी तो जीवन पूरी तरह बदल गया। क्रियायोग की भी दीक्षा ग्रहण की। अब काफी आशांवित रहती हूं। स्वयं के भीतर एक अज्ञात शक्ति का एहसास होता है। यह आशा रहती है कि हमारे अंदर एक शक्ति है जो सभी दुख, झंझटों से उबार कर ले जाएगा।

मीतू: सरकारी सेविका, रांची

........................

योगदा सत्संग आश्रम आकर असीम शांति का अनुभव होता है। यहां एक अदृश्य शक्ति है जो बांधे हुए है। आश्रम से 1993 में जुड़ाव हुआ। तब से संयासियों की संगत न मिले तो बैचेनी होनी लगती है। यहां आकर जीवन का वास्तविक अर्थ समझ पाया। पैसा, पद आदि क्षणिक सुख देता है। यह साश्वत नहीं है। साश्वत सुख खुशी, संतोष है जो योग बल से ही अनुभव हो सकता है।

एम.राजा शेखरन, इंजीनियर, मेकॉन, रांची

........................

जीवन की गाड़ी बड़े आराम से चल रहा थी लेकिन हर वक्त दिल यही कहता था कि कुछ है जो छूट रहा है। 2001 में मेरे बेटा मुझे लेकर यहां आया। सन्यासियों की देखरेख में योग की दीक्षा आरंभ की तो स्वयं से साक्षात्कार हुआ। दिल जिस अज्ञात चीज को ढूंढ़ रही थी वो यही है। मैने क्रिया योग की भी दीक्षा ली हूं। आश्रम की शांति सोने के महल से भी उत्तम है।

तारा टाक, गृहिणी, निवारणपुर रांची

........................

योगदा सत्संग आश्रम ने जीवन जीने के तरीके ही नहीं बल्कि दृष्टिकोण भी बदल दिया। एक समय भौतिक संसाधनों की प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य होता था अब ये सारी बातें बेकार जान पड़ती है। खुद तो योग की दीक्षा ग्रहण की ही पति व बच्चे को भी नियमित रूप से यहां लाती हूं। गुरुदेव की कृपा और योग की शक्ति से परिवार में खुशियां ही खुशियां है।

जया झा, गृहिणी, रांची


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.